आन अब, शान सब, हमर अभिमान हें।
छंद के, बंध के, ग्यानी महान हें।।
संग दय, रंग दय, हाथ ला थाम के।
देव सम, हृदय नम, 'अरुण' गुरु नाम के।।
सियानी, सुजानी, 'दलित' कस पारखी।
जानलव, मानलव, जम्मों सखा सखी।।
शब्द के, गठरिया, बाँध गुरु ग्यान दैं।
चइत के, चँदैनी, सहीं लय तान दैं।।
टार भय, सीख दय, दोष ल सुधार के।
मीत कस, रोज दस, गलती बिसार के।।
ग्यान ला, ध्यान ला, होय खुश बाँट के।
जात ला, पात ला, मेट दय साँट के।।
काम कर, नाम कर, सुग्घर बिचार दैं।
गोठ ले, अपन इन, पोठ संस्कार दैं।।
कर्म कर, मर्म धर, इही गुरु मंत्र हे।
बने लिख,तने दिख, सिरजन सुतंत्र हे।।
गाँव घर, राज भर, पुरातन छंद ला।
सिखोवत,पठोवत, 'अमित' आनंद ला।।
करज हे, अरज हे, गुरु तोर पाँव मा।
तम घटे, दिन कटे, छंद के छाँव मा।।
कन्हैया साहू 'अमित'~20/10/2020
शिक्षक भाटापारा छत्तीसगढ़
गोठबात ~ 9200252055
लाजवाब लाजवाब गुरूदेव
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अरुण छंद गुरूदेव
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