सार छंद - नवा जमाना
शिक्षा दीक्षा कहाँ गवाँगे, आगे नवा जमाना।
पाँव परय अब माड़ी के सब, छोड़य माथ नवाना।-1
हाथ जोड़ के मुँड़ी नवाई, कोन कोत नंदागे।
सेखी झारै देखमरी मा, हाय हलो ह हमागे।-2
सास बहू के सुमता जरगे, कहाँ पटै अब तारी।
पिता पूत के पैंती उसले, लइका देवय गारी।-3
लाज सरम हा मरगे अब तो, पहिरँय अलकर कपड़ा।
गिधवा मनखे देख निहारँय, दिन दिन बाढ़य लफड़ा।-4
फेसन कइसन हे अलकरहा, पाँच हाथ के लुगरा।
मुँहू कान ला तोपे ढ़ाँके, पीठ पेट हे उघरा।-5
चिरहा फटहा जींस कपाये, भुँइया तक ये लामे।
कनिहा खाल्हे कँसे बेल्ट हे, पता नहीं का थामे।।-6
चुंदी रंगे रिंगीचिंगी, अलकरहा कटवाथें।
टूरी-टूरा एक्के दिखथें, कोन कहाँ चिन्हाँथें।।-7
अपन हाथ मा हावय सिरतों, अपने सब मरजादा।
नवा जमाना संग चलव पर, राहव सुग्घर सादा।-8
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कन्हैया साहू 'अमित'- शिक्षक, भाटापारा छत्तीसगढ़