मंगलवार, 24 जुलाई 2018

शिवशंकर के बिहाव ~ बरतिया वर्णन

शिवविवाह के बरतिया वर्णन - सरसी छन्द :-
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   बिकट बरतिया बिदबिद बाजँय, चाल चलय बेढ़ंग।
   बिरबिट करिया भुरुवा सादा, कोनो हे छतरंग।1।

   कोनो उघरा उखरा उज्जट, उदबिदहा उतलंग।
   उहँदा उरभट कुछु नइ घेपँय, उछला उपर उमंग।2।

   रोंठ पोठ सनपटवा पातर, कोनो चाकर लाम।
   नकटा बुचुवा रटहा पकला, नेंग नेंगहा नाम।3।

   खरभुसरा खसुआहा खरतर, खसर-खसर खजुवाय।
   चिटहा चिथरा चिपरा छेछन, चुन्दी हा छरियाय।4।

   जबर जोजवा जकला जकहा, जघा-जघा जुरियाय।
   जोग जोगनी जोगी जोंही,  बने बराती जाय।5।

   भुतहा भकला भँगी भँगेड़ी, भक्कम भइ भकवाय।
   भसरभोंग भलभलहा भइगे, भदभिदहा भदराय।6।

   भकर भोकवा भिरहा भदहा, भूत प्रेत भरमार।
   भीम भकुर्रा भैरव भोला, भंडारी भरतार।7।

   मौज मगन मनमाने मानय, जौंहर उधम मचाय।
   चिथँय कोकमँय हुदरँय हुरमत, तनातनी तनियाय।8।

   आसुतोस तैं औघड़दानी, अद्भूत तोर बिहाव।
   अजर अमर अविनासी औघड़, अड़हा अमित हियाव।9।
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*कन्हैया साहू "अमित"*
शिक्षक~भाटापारा(छ.ग)
9200252055
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