मंगलवार, 9 जून 2020

दोहा के 21 प्रकार

दोहा के 21 प्रकार~कन्हैया साहू 'अमित"
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1. *भ्रमर दोहा* (22 गुरु+4 लघु)
आऔ देखौ गाँव ला, रंगे देशी रंग।
भौंरा बाँटी खेलथें, जम्मों संगी संग।।

2. *सुभ्रामर दोहा* (21 गुरु+6 लघु)
आऔ देखौ गाँव मा, सुग्घर देशी खेल।
खेले कूदे मा घलो, होवै सोझे मेल।।

3. *शरभ दोहा* (20 गुरु + 8 लघु)
गिल्ली डंडा खेल ला, खेलैं पीपर छाँव।
आरी-पारी बद गियाँ, लेथें-देथें दाँव।।

4. *श्येन दोहा* (19 गुरु + 10 लघु)
फोदा फल्ली फिलफिली, रेसटीप पित्तूल।
खेलैं देशी खेल ला, झूलँय झोंपा झूल।।

5. *मंडूक दोहा* (18 गुरु +12 लघु)
खेलौ देशी खेल ला, कोनो रुखुवा छाँव।
भाही तोला बड़ सदा, अपने गँवई गाँव।।

6. *मर्कट दोहा* (17 गुरु +14 लघु)
देख कबड्ड़ी खेल ला, कतका होथे जोश।
माटी ले राहव जुड़े, अतका राखव होश।।

7.  *करभ दोहा* (16 गुरु + 16 लघु)
खो-खो खुडवा खेल मा, आथे बड़ आनंद।
हार जीत मा हे मजा, सबके अपन पसंद।।

8. *नर दोहा* (15 गुरु + 18 लघु)
फुगड़ी बिल्लस खेलथें, नोनीमन हा झार।
करैं खेलवारी अमित, अपने अँगना द्वार।।

9. *हंस दोहा* (14 गुरु + 20 लघु)
लइका डंडा कोलथे, धरके लौड़ी हाथ।
खेलँय जुरमिल जहुँरिया, ले सँघेर सब साथ।।

10. *गयंद दोहा* (13 गुरु +22 लघु)
घोर-घोररानी कहत, गोल-गोल लँय घूम।
हाँसत कुलकत खेलना, अंतस जावय झूम।।

11. *पयोधर दोहा* (12 गुरु+ 24 लघु)
सुघर तिरीपासा लगय, चार सखा सकलाँय।
धर चिचोल बीजा 'अमित', कौड़ीकस ढरकाँय।।

12. *बल दोहा* (11 गुरु +26 लघु)
बीस अमृत आ खेल ले, दउँड़ भाग अउ बैठ।
मनभर मन ले मन मिला, झन तैं मितवा ऐठ।।

13. *वानर दोहा* (10 गुरु + 28 लघु)
छुआ छुऔला अमरना, खेलँय बड़का छोट।
'अमित' ससनभर खेलथें, चिटिक रखँय नइ खोट।।

14. *त्रिकल दोहा* (9 गुरु + 30 लघु)
चुन-चुन गोंटा लानथें, गिन-गिन धरलँय पाँच।
पँचवा कहिथे अउ 'अमित', जानव बतरस साँच।।

15. *कच्छप दोहा* (8 गुरु + 32 लघु)
गली-खोर चँउरा 'अमित', खेलँय नदी पहाड़।
अपन-अपन गरियस गड़ी, मिलजुल करँय जुगाड़।।

16. *मच्छ दोहा* ( 7 गुरु + 34 लघु)
भटकउला बर छाँटलव, गोंटी सुघर  पचीस।
भटक ठिठक खेलव भलुक, चिटक रखव नइ रीस।।

17. *शार्दूल दोहा* (6 गुरु + 36 लघु)
हमर गाँव गँवई गजब, चटकमटक बड़ दूर।
खेलकूद हिरदय बसय, सुख उपजय भरपूर।।

18. *अहिवर दोहा* (5 गुरु + 38 लघु)
खेलउना सरबस हमर, करय पिरित बरसात।
हरसय हिरदय अति 'अमित', गदगद अंतस घात।।

19. *ब्याल दोहा* (4 गुरु + 40 दोहा)
मनभर मनहर बड़ सुघर, हमर गँवइहा खेल।
सुमत सबर दिन, सख सदा, जुरमिल रखय सकेल।।

20. *बिडाल दोहा* (3 गुरु + 42 लघु)
गतर-गढ़न गथफत हमर, झन तँय समझ गँवार।
हवय सरग सम गढ़ हमर, बरसय मया अपार।।

21. *श्यान दोहा* (2 गुरु + 44 लघु)
खरतर खरखर सब 'अमित', खदर बसर रहि ठाँव।
जनम-मरन सुख दुख सहित, करव कदर हर गाँव।।
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शनिवार, 6 जून 2020

मोर सोनहा गाँव~सरसी छंद गीत

*सरसी छंद गीत ~ मोर सोनहा गाँव*

लीपेपोते सब घर अँगना, नीक लागथे ठाँव।
चिक्कन चाँदन चमचम चमकय, मोर सोनहा गाँव।।

बर पीपर अउ लीम बंभरी, जगा-जगा हे पेड़।
परिया भाँठा ओंटा-कोंटा, खेत खार अउ मेड़।।
मिलय गजब फुरहुर पुरवाही, गुरतुर फर अउ फूल।
बाग बगीचा अमरइया मा, बाँधँय झुलुवा झूल।।
जुड़हा छँइयाँ ठउर-ठउर मा, जुड़वासा हे नाँव।
चिक्कन चाँदन चमचम चमकय, मोर सोनहा गाँव।।-1

बड़े फजर ले साफ सफाई, गोबर छरा छिंचाय।
धुँगिया उड़े अगासा कोती, चूल्हा अगिन ढिलाय।।
परसा पाना मा अंगाकर, दाई रोटी पोय।
पिस पताल चटनी चुरपुरहा, कमिया कोत पठोय।।
सादा जिनगी सादा जेवन, देख-देख इतराँव।
चिक्कन चाँदन चमचम चमकय, मोर सोनहा गाँव।।-2

होत बिहनिया चिरई चिरगुन, चींव-चाँव मन भाय।
गर मा नोई डार पहटिया, हूत-हात चिल्लाय।
पनिहारिनमन पानी काँजी, भरँय कुआँ के पार।
संझौती के बेरा बरदी, लहुटय अपन दुवार।।
तुलसी चौरा दीया बाती, देखत माथ नवाँव।
चिक्कन चाँदन चमचम चमकय, मोर सोनहा गाँव।।-3

घाम छाँव अउ सरदी गरमी, चाहे हो चउमास।
लहू पछीना संग किसानी, अंतम मा धर आस।।
सुआ ददरिया करमा पंथी, जुरमिल गावँय गीत।
'अमित' पुजारी जाँगर के इन, धरती के मनमीत।।
धुर्रा माटी जनम भूमि के , माथा तिलक सजाँव।
चिक्कन चाँदन चमचम चमकय, मोर सोनहा गाँव।।-4
लीपेपोते सब घर अँगना, नीक लागथे ठाँव।
चिक्कन चाँदन चमचम चमकय, मोर सोनहा गाँव।।

कन्हैया साहू 'अमित'~06/06/2020
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