बिहनिया
होत बिहनिया कुकरा बासय।
बड़े फजर ले जम्मों जागय।।
खोर गली मा छिटका गोबर।
साफ सफाई सरग बरोबर।।
चींव चाँव चिरई नरियावव।
छानी ले धुँगिया उड़ियावय।।
चउँक पुराये सुघर मुँहाटी।
जावँय लउहे गोदी माटी।।
लाली सूरुज सबके हिस्सा।
इही गाँव गँवई के किस्सा।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा छत्तीसगढ़
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