शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

बाल कविता ~ बादर

बादर
गड़गड़-गड़गड़ करथे बादर।
धीर  कहाँ  तब धरथे  बादर।।

करिया करिया ओन्हा ओढ़े।
झम-झम बिजली बरथे बादर।।

सरसर-सरसर पवन संग मा।
झरझर-झरझर झरथे बादर।।

गरमी ले हलकान परानी।
सबके दुख ला हरथे बादर।।

रुक्खा-झुक्खा चारों कोती।
सब ला हरियर करथे बादर।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
कन्हैया साहू 'अमित'~ भाटापारा -9200252055

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें