सोमवार, 24 मई 2021

दुलरवा दोहा ~ नँदिया

नँदिया
नँदिया जनमैं नानकुन, कोनो ऊँच पहार।
आगू वो बढ़ते चलय, बढ़ते जावय धार।।

पानी पूरा भर चलय, लहर-लहर लहराय।
निर्मल जल सब ला मिलय, जिहाँ-जिहाँ बोहाय।।

नागिन जइसे रूप हे, हिरनी जइसे चाल।
चउमासा मा देख ले, नँदिया ला विकराल।।

नँदिया सागर मा मिलय, जइसे के लगवार।
पहुँचय बाधा टोर के, खुश होवय पोटार।।

गरजै बादर जोर के, ठाढ़े देवय चीर।
बरसै पानी झूम के, नँदिया अमित अधीर।।

नँदिया के पानी सुघर, छेंकव खच्चित बाँध।
बिरथा भागय जल कहूँ, बद्दी अपने खाँध।।

खेती ला पानी मिलय, फसल हमर लहराय।
रोकव पानी बाँध मा, बात अमित समझाय।।

बिजली बनही बाँध ले, पानी कहूँ बचान।
घर अँगना रोशन रही, होही बड़ धन धान।।

पीये खातिर साफ जल, नँदिया ले हम पान।
कचरा काबर फेंक हम, बइरी इँखर कहान।।

रेती पखरा हेर के, देवन सकल बिगाड़।
बिफरै जब नँदिया अमित, करदै गजब बिगाड़।।

नँदिया महतारी असन, पूरन करथे आस।
कइसे के बेटा तुमन, फेंकव येमा लाश।।
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कन्हैया साहू 'अमित' ~ भाटापारा छत्तीसगढ़

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