शुक्रवार, 28 मई 2021

दुलरवा दोहा ~ राजिम धाम

राजिम महिमा

पावन बड़ छत्तीसगढ़, महिमा हवय बुलंद।
पड़ते राजिम धाम हा, गरियस गरियाबंद।।

महानदी के तीर मा, राजिम नगर बसाय।
पैरी सोंढुर आ मिलै, संगम सुघर कहाय।।

जगतपाल राजा रहिन, महानदी म नहाय।
बड़े फजर आवय इहाँ, राजिम घाट बनाय।।

इही जघा मंदिर बनै, सपना कर साकार।
राजिम तेलिन घर रखे, मुरती ला बइठार।।

राजिम तेलिन हा करै, घानी पखरा दान।
अतके इच्छा ला करिस, नाँव जुरै भगवान।।

राजा सपना सच करै, मंदिर ला बनवाय।
राजिम माता नाँव ले, पूजा पाठ कराय।।

भक्तिन अउ भगवान के, संग चलागत नाम।
राजा के सहयोग ले, राजिम लोचन धाम।।

गढ़े विश्वकर्मा अमित, मंदिर राजिम गाँव।
राजा के आदेश पा, बना डरिस प्रभु ठाँव।।

हवै पंचकोशी तिरिथ, पाँव-पाँव मा नाप।
पुण्य कमा ले तैं अमित, मिट जाही संताप।।

देव कुलेसर जा बसिस, महानदी मझधार।
रतनदेव के हे करम, होवय जय- जयकार।।

माघी पुन्नी मा भरय, मेला नँदिया तीर।
भक्तन राजिम धाम मा, आवँय होय अधीर।।
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कन्हैया साहू 'अमित' ~ भाटापारा छत्तीसगढ़

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