रविवार, 22 अगस्त 2021

सार छंद मा गीत

*सार छंद गीत ~ मोर मयारू भैया*

जुग-जुग जीबे जग मा तैंहा, मोर मयारू भैया।
हवच तहीं हा ये दुनिया मा, सिरतों मोर पुछैया।।

तोर बिना घर सुन्ना लागै, अंतस छाय हदासी।
भाँय-भाँय बड़ गाँव-गली हा, आवय बस रोवासी।।
भेजत हावँव राखी तोला, हमरे देश रखैया।
जुग-जुग जीबे जग मा तैंहा, मोर मयारू भैया।....

सावन पुन्नी राखी आथे, ढरथे  आँसू आँखी।
मन करथे उड़ जाँव तोर तिर, लगा देंह मा पाँखी।।
सुरता आथे बीते दिन हा, छिन-छिन संग लड़ैया।
जुग-जुग जीबे जग मा तैंहा, मोर मयारू भैया।....

बाढ़ै जश बड़ तोर रात दिन,, गड़य न पाँव म काँटा।
दुख-पीरा चिटको झन आवै, चाबय कभू न चाँटा।
मोर उमर लग जावय तोला, सब बर मया मरैया।
जुग-जुग जीबे जग मा तैंहा, मोर मयारू भैया।....
हवच तहीं हा ये दुनिया मा, सिरतों मोर पुछैया।।

*कन्हैया साहू 'अमित'*✍
भाटापारा छत्तीसगढ़ ©®

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