रविवार, 8 मई 2022

आल्हा चालीसा

आल्हा चालीसा (आल्हा छंद)

(कन्हैया साहू 'अमित')


सुमरनि:-(दोहा)
1~हाँथ जोड़ बिनती करँव, काटव अमित कलेस।
  जय गनपति जय गजबदन, गिरिजापूत गनेस।
   
2~ गिरिजापूत गनेस जी, राख सभा मा लाज।
सबद बता माँ सारदा, बानी बइठ बिराज।

3~बानी बइठ बिराज लव, कूलदेव भगवान।
चलत रहय ये लेखनी, दव अइसन बरदान।

4~दव अइसन बरदान गुरु, सिखँव लिखँव सब छंद।
गुरु किरपा बड़ भाग ले, मिलय अमित आनन्द~5

सुमरनि:- (चौपाई)
1~सुमिरँव सदा ददा दाई ला,
     अउ मोर माँवली माई ला।
     सुमिरँव अरुण निगम श्री गुरुवर,
     छंद ग्यान जे देइन सुग्घर।

2~परमपिता प्रभु पालनहारी,
  जय हो ब्रम्हा बिस्नु तिपुरारी।
   भूल चूक माँफी निपटारा,
    किरपा करहू 'अमित' अपारा।

3~अँड़हा अदरा अमित अजारा,
     रहिथँव मैं हा भाटापारा,
     प्रभु चरनन मैं टेकँव माथा,
     गुरु किरपा ये आल्हा गाथा।

*कथा प्रसंग*

हे गनेस तैं सबद बरन दे, सदा सहायक सारद माय।
हाँथ धरे हँव तुँहर लेखनी, अक्छर-अक्छर 'अमित' लिखाय।।~1

जोंड़ जाँड़ के आखर-आखर, लिखय 'अमित' अँड़हा मतिमंद।
गुरु किरपा के बरसे बरसा, तभे लिखत हँव आल्हा छंद।।~2

अब्बड़ अद्भुत अलखा आल्हा, अलहन अलकर टार मिटाय।
अटकर अजरा अलवा-जलवा, अड़हा जइसे अमित बताय।।~3

महाबीर बन जनमें आल्हा, बाहुबली ये 'अमित' कहाय।
जोश जवानी जउँहर जिनगी, सुन के कायर झट मर जाय।।~4

आल्हा ऊदल दू झन भाई, रहँय महोबा बीर महान।
गाँव-गाँव मा गाथैं गाथा, आल्हा ऊदल जस गुनगान।।~5

धरमराज अवतारी आल्हा, भीम सहीं ऊदल दमदार।
लड़ें लडा़ई बावन ठन जी, जिनगी भर नइ जानिन हार।।~6

कौरव पांड़व कुल हा जूझे, लड़गे कुरूक्षेत्र मैदान।
जनम धरें कलजुग मा दूनों, आल्हा ऊदल होंय महान।।~7

जस गुन गावँव इन जोद्धा के, हमरे बस के नइहे बात।
जेखर कीरति घर-घर बगरे, जस गाथा गावँय दिन रात।~8

******* *आल्हा के जनम* ********

जेठ महीना दसमी जनमे, आल्हा देवल पूत कहाय।
बन जसराज ददा गा सेउक, गढ़ चँदेल के हुकुम बजाय।।~9

ददा लड़त जब सरग सिधारे, आल्हा होगे एक अनाथ।
दाई  देवल परे 
अकेल्ला, राजा रानी  देवँय  साथ।।~10

तीन महीना पाछू जनमे, बाप जुद्ध में जान गवाँय।
बीर बड़े छुट भाई आल्हा, ऊधम ऊदल नाँव धराय।।~11

राजा परमल पोसय पालय, रानी मलिना राखय संग।
राजमहल मा खेंलँय खावँय, आल्हा ऊदल रहँय मतंग।।~12

सिक्छा-दीक्छा होवय सँघरा, लालन-पालन पूत समान।
बड़े बहादुर बलखर बनगे, लागँय राजा के संतान।।~13

बड़े लड़इया आल्हा ऊदल, जेंखर बल के पार न पाय।
रक्छक बन परमाल देव के, आल्हा ऊदल जान लड़ाय।।~14

आल्हा संगी सिधवा मितवा, नइहे चोला एको दाग।
थरथर कापँय कपटी खोड़िल, बैरी बर बड़ बिखहर नाग।।~15

बन चँदेल राजा के सेउक, अपन हँथेरी राखँय प्रान।
नित चँदेल हो चौगुन चाकर, दुनिया भर मा बाढ़य शान।।~16

'अमित' महोबा के बलवंता, आल्हा आगू कोन सजोर।
बाढ़त नदियाँ पूरा पानी, पुन्नी कस चन्दा अंजोर।।~17

झगरा माते बात-बात मा, मार काट अउ हाहाकार।
पोठ लहू के होरी होवय, पवन सहीं खड़कय तलवार।।~18

काँही तो नइ भावय इनला, रास रंग अउ तीज तिहार।
फड़फड़ फरकय भक्कम भुजबल, रहँय जुद्ध बर बीर तियार।।~19

सुते नींद नइ आवय दसना, बड़ बज्जर बलखर बलबीर।
लड़त-लड़त बीतय दिन रतिहा, दँय झट बैरी छाती चीर।।~20

राजपाट राजा रज रक्छक, आल्हा नइ तो चिटिक अबेर।
कुकुर कोलिहा सौ का करहीं, आल्हा ऊदल बब्बर शेर।।~21

सतरा बछर उमर मा होवय, आल्हा के शुभ लगन बिहाव।
नैनागढ़  नेपाली  राजा,  बेटी  मछला  संग  हियाव।।~22

राजकुमारी मछला जानय, जादू के जब्बर जर ग्यान।
नाँव सोनवा मछला जानव, रहय एक नइ इँखर समान।।~23

बीर बहादुर बघवा बेटा, मछला आल्हा के संतान।
बाप कका कस बड़ बलवंता, इंदल बरवाना बलवान।।~24

******* *आल्हा के पराक्रम* ******

राग रागिनी नइ तो भावय, राजमहल अब नइच सुहाय।
बोल बचन सुन महतारी के, बेटा बाघ मार घर लाय।।~25

आज बाघ कल बैरी मारव, तब छतिया के दाह बुताय।
बिन अहेर के मैं नइ मानँव, दाई ताना इही सुनाय।।~26

जेखर बेटा कायर निकले, महतारी रो-रो पछताय।
सुनव दुनों तुम आल्हा ऊदल, असल पूत जे बचन निभाय।।~27

कुकुर बछर बारा बस जीयय, जीयय सोला साल सियार।
बरिस अठारा छत्री जीये, आगू के जिनगी बेकार।।~28

मूँड़ टँगागे बाप कका के, माँडूगढ़ बर रुख के डार।
अधरतिया के अध बेरा मा, मूँड़ी बड़ पारय गोहार।।~29

आवव आल्हा ऊदल आवव, मोर लड़ंका लठिया लाल।
बँच के आहू माँडूगढ़ मा, बन बघेल के जी के काल।।~30

खूब लड़इया लहुआ आल्हा, दूसर ले देवी बरदान।
भगत भवानी सारद माँ के, जइसे सीया के हनुमान।।~31

बइठ बछर बारा बन तपसी, मैहर माई के दरबार।
मूँड़ काट अरपन देवी ला, होय अमर आल्हा अवतार।।~32

आल्हा ऊदल चलथें अइसे, जइसे रामलखन चलि जाय।
भुजबल भारी भक्कम भइगे, आँखी भभका कस भमकाय।।~33

आल्हा ऊदल सिरतों सेउक, समझँय येला अपन सुभाग।
धरम करम हे राजपूत के, लड़त-लड़त दँय प्रान तियाग।।~34

धरम धजा कस उड़े पताका, नाँव धराये हे अलहान।
सूरुज बूड़य बुड़ती बेरा, नइ बूड़ै आल्हा के शान।।~35

जीत-जीत के जिनगी जीयँय, जउँहर जोद्धा जय जयकार।
जेखर बैरी जीयँत जागय, ओखर जिनगी हा बेकार।।~36

रन मा आल्हा करँय सवारी, पुष्यावत हाथी के नाँव।
खदबिद-खदबिद घोडा़ दउँड़े, कहाँ थोरको माढ़य पाँव।।~37

देशराज बर खाये किरिया, आल्हा जोरय जम्मों जात।
एकमई सब राहव काहय, भेदभाव के छोड़व बात।।~38

सबके हितवा आल्हा ऊदल, परहित मा ये भरँय हुँकार।
रक्छक बहिनी महतारी के, बैरी के दँय सरी उजार।।~39

आल्हा ऊदल बड़ बलिदानी, राज महोबा के बिसवास।
करनी अइसन करें तियागी, अमर नाँव लिखगें इतिहास।~40
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*कन्हैया साहू "अमित"*
शिक्षक ~भाटापारा (छ.ग)
संपर्क ~ 9200252055
©सृजन~ 21/05/2018®
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