सेहत के दोहा -4
छिन-छिन जेवन खाव झन, थोरिक बेर अगोर।
कौंरा तातेतात लव, भूख लगै जब जोर।।
बड़े बिहनिया उठ घुमय, शुद्ध हवा नित पाय।
तन-मन के बड़ बल बढ़ै, बइद घलो घबराय।।
कभू नाक आवय लहू, तुरत करव उपचार।
लानव दरमी के कली, रसा निचो के डार।।
भूँज मुनक्का संग घी, सेंधा नून मिलाय।
जौने येला खात हे, चक्कर नइ तो आय।।
मधुरस डारव घोर के, ताते पानी संग।
तीन बेर दिन मा पियौ, सरदी करय न तंग।।
दूध आँक ला डार के, सरसों तेल पकाव।
खस्सू खजरी दाद ला, मालिश करत मिटाव।।
संग जलेबी खाव जी, मुरई के रस डार।
बवासीर जावय मिटा, साते दिन उपचार।।
भूख बढ़े आलस भगै, गैस अपच दुरिहाय।
लिम्बू अदरक संग मा, गाजर रसा मिलाय।।
डारव करके कुनकुना, सरसो तेल मिलाय।
किरवा खुसरे कान मा, तुरते बाहिर आय।।
असली धन हे देंह हा, बात कभू झन भूल।
नियम धरम पालन करत, सुख के झुलुवा झूल।।
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कन्हैया साहू 'अमित' ~ भाटापारा छत्तीसगढ़
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