बरखा
बादर खोलय मोटरा, बइठे बिजली संग।
धरती काँपय देख के, करही अब अतलंग।।
बिजली पाछू हे परे, धरे धनुस अउ बान।
बरखा बादर बद गड़ी, करथें बड़ हलकान।।
बादर बिजली संग मा, बुजबुज बस बिजराँय।
घर माटी खपरा दिखय, उँहचे उधम मचाँय।
बादर बलमा हे अमित, धरती के लगवार।
बरपेली बरसै बिकट, चढ़हे मया बुखार।।
बिरबिट बादर देख के, भुँइया हा मुसकाय।
हाहीमाही पानी गिरय, लुगरा हा हरियाय।।
कीट पतंगा मेचका, गावँय स्वागत गीत।
बादर बरसत आव तैं, जोहत हे मनमीत।।
रिमझिम रिमझिम रातकुन, दमदम दम दिनमान।
अँधियारी घपटे नँगत, देख जोगनी जान।
रटाटोर पानी गिरय, रझरिझ-रझरिझ बूँद।
बइला बछरू गायमन, पल्ला आँखी मूँद।।
नँदिया नरवा डोड़गा, दँउड़ परिन हें फेर।
बिलहोरय बादर बुजा, होवय अमित अबेर।।
परिया भाँठा खेत मा, पानी बड़ सकलाय।
बादर हा परलोखिया, फोकट कहाँ कहाय।।~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
कन्हैया साहू 'अमित' ~ भाटापारा छत्तीसगढ़
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें