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सोमवार, 7 जून 2021

जानव जनऊला ~ (1051-1100)


1051- नोनी-बाबू खेलँय जान।
खंभा दू गाड़ै मैदान।।
आठ खिलाड़ी टीम बनाय।
भागय तेला छू दँउड़ाय।।
-खो-खो

1052- भुँइया मा ये खेले जाय।
दाँव सुघर दू दल देखाय।।
सात खिलाड़ी एक्के पार।
जौन छुवावै ओखर हार।।
-कबड्डी

1053- फुदुक-फुदुक ये खेले जाय।
उँखरू बइठे पाँव चलाय।।
नोनीमन ला बहुते भाय।
चिटिक जघा मा काम चलाय।।
-फुगड़ी

1054- दू दल येमा खेलय जान।
भर-भर साँसा गावँय गान।।
गावत खानी साँसा टूट।
होवय बाहिर, जावय छूट।।
-खुड़वा

1055- गेंद न बल्ला येमा जान।
बस चाही खुल्ला मैदान।।
लकड़ी नान्हें छोल बनाय।
डंड़ा मारय दाम पदाय।।
-गिल्ली डंडा

1056- एक पाँव मा उछले जाय।
डब्बा-डब्बा डाँड़ खिंचाय।।
खपरा, पखरा कुटका लान।
मुक्का-बोली खेलय जान।।
-बिल्लस

1057- डब्बा बनथें येमा चार।
खपरा कुटका खेल म सार।।
पाँच गड़ी मिल खेलँय खेल।
हार जीत के सुग्घर मेल।।
-फल्ली

1058- लकड़ी छोले गोल बनाय।
खाल्हे कोती खिला धराय।।
फरिया बर नेती बनवाँय।
फेंक पटक के खूब चलाँय।
-भौंरा

1059- होथे चीनी या ते काँच।
खेलँय लइका गड्डा खाँच।।
गिनथें सब दस बीस पचास।
जेखर जल्दी सौ वो पास।।
-बाँटी

1060- लइका बइठैं गोल बनाय।
दाम पदे वो बाहिर जाय।।
पटका धरके रहे लुकाय।
कखरो पाछू जाय मढ़ाय।।
-फोदा

1061- डारा पाना जम्मों लाल।
कोंवर भाजी करय कमाल।।
कमी लहू के पूरा होय।
विटामीन 'सी' बहुते सोय।।
-लाल भाजी

1062- चिक्कन-चिक्कन एखर पान।
येमा गुण के भरे खदान।।
राँधव भाजी आलू डार।
खावव सुग्घर दार बघार।।
-पालक भाजी

1063- चउमासा मा उपजै झार।
पान केंवची एखर सार।।
बिन पइसा के येला पाव।
बड़ गुणकारी, खच्चित खाव।।
-चरौंटा भाजी

1064- बहुते मँहगी होथे जान।
उँचहा भाजी उँचहा शान।।
होय पेड़ के पाना फूल।
फागुन मा ये आथे झूल।।
-बोहार भाजी

1065- रहिथे पानी जिहाँ भराय।
उँहचे छछले बहुते जाय।।
पाना डारा आवय काम।
गजब मिठाथे, जानँव नाम।।
-करमत्ता भाजी

1066- अमसुरहा अम्मट भरमार।
कोंवर पाना फर हे सार।।
भरे आयरन बड़ गुणकार।
फर के चटनी, सुकसा सार।।
-अमारी भाजी

1067- कटही पाना हे पहिचान।
हावय येमा गुण के खान।।
जाड़ा मा ये बहुते आय।
गुणकारी हे, दुनिया खाय।।
-कुसुम भाजी

1068- नइ तो कोनो हा उपजाय।
नँदिया तीर मा बहुते छाय।।
पेट रोग जब बहुत सताय।
खच्चित ये भाजी ला खाय।।
-गुमी भाजी

1069- चउमासा अउ जाड़ म आय।
कोंवर पाना साग बनाय।।
गिल्ला जुड़हा जघा म होय।
दुनिया स्वाद म एखर खोय।।
- तिनपनिया भाजी

1070- नान्हें झाड़ी येला जान।
खाथे कोंवर डारा पान।।
बनय मसलहा, अम्मट डार।
दार अमारी राँध सँघार।।
-चेंच भाजी

1071- भुँइया भीतर कांद कहाय।
ऊपर पाना बाँस सुहाय।।
चाय, साग मा डारे जाय।
चुरपुर पर गुणकारी आय।।
-आदा

1072- ऊपर पाना झाफर होय।
भुँइया भीतर काँदा सोय।।
दिखथे पींयर लकड़ी गाँठ।
भुरका करथें, पिसथें टाँठ।।
-हरदी

1073- गंजी मा पानी डबकाय।
शक्कर, आदा, दूध मिलाय।।
डारँय करिया भुरका पान।
फूँक-फूँक के पियै जहान।।
चाय

1074- घर अँगना मा चौंरा पाय।
नान्हें बिरवा बढ़ते जाय।।
फूल मंजरी पान सहाय।
गजब गुणी ये पौध कहाय।।
-तुलसी

1075- बारी बखरी उपजे जाय।
पाना पिस के चटनी खाय।।
महर-महर बड़ ये ममहाय।
येहा मुँहुँ के बास भगाय।।
-पदीना

1076- कथा महाभारत के गाय।
धरे तमूरा मंच म जाय।।
कौरव पांडव बात बताय।
लोकरंग मा रहे रँगाय।
-पंडवानी

1077- जैतखाम ला माथ नवाय।
गुरु घासी के कथा सुनाय।।
नाचँय माँदर, झाँझ बजात।
सत के सुग्घर बात बतात।।
-पंथी

1078- चइत कुँवारे मा नवरात।
देवी सेवा गीत सुनात।।
माँदर, ढ़ोलक, झाँझ बजाय।
दाई महिमा गाय सुनाय।।
-जस गीत

1079- करम करे के देवय सीख।
करौ मेहनत, झन लव भीख।।
इही भाव ले खुशी मनाँय।
गोल घेर सब नाचैं गाँय।।
-करमा

1080-  लोक गीत के रानी आय।
मया पिरित के गोठ सुनाय।।
काम बुता के संगे संग।
नाच-गान ये जिनगी रंग।।
-ददरिया

1081- अपन जँहुरिया मिल सकलाय।
माटी मिट्ठू बीच बिठाय।।
सज-धज सुग्घर गोल बनाय।
पिट-पिट ताली गीत सुनाय।।
-सुवा गीत

1082- देवारी के दिन जब आय।
राउत भाई सब सकलाय।।
सजे-धजे बड़ खुशी मनाय।
दोहा लउठी धरे सुनाय।।
-राउत नाचा

1083- चउमासा मा गजबे गाँय।
आल्हा-ऊदल कथा सुनाँय।।
नस-नस मा ये जोश जगाय।
लोककथा ये सब ला भाय।।
-आल्हा

1084- गौरा-गौरी मुरत बनाय।
बर बिहाव के नेंग मढ़ाय।।
फूल कुचरना पहिली आय।
सुग्घर उत्सव, गीत सुनाय।।
-गौरा गीत

1085- चुलमाटी, मड़वा जब छाय।
देवतला अउ तेल चघाग।।
नेंग भड़ौनी भाँवर होय।
बेर बिदाई, जम्मों रोय।।
-बिहाव गीत

1086- जनम धरे घर लइका आय।
माई-पिल्ला खुशी मनाय।।
मिलके गावँय मंगल गान।
राम, कृष्ण के जनम समान।।
-सोहर गीत

1087- सावन के अंजोरी आय।
टुकनी म गहूँ तब बोंवाय।।
नोनीमन हा सेवा गाय।
देवी गंगा गीत सुनाय।।
-भोजली गीत

1088- राजा घर ला छोड़े जाय।
कइसे वो योगी बन आय।।
सुख दुख पीरा मरम बताय।
इही बात सब गीत सुनाय।।
-भरथरी गीत

1089- गोदरिया धर तमुरा आय।
घर-घर जय गंगान सुनाय।।
दान दक्षिणा तुरते पाय।
गौंटनीन जय कहते जाय।।
-बसदेवा गीत

1090- नाच-गान एखर पहिचान।
हँसी ठिठोली बहुते जान।।
परी संग जोक्कड़ हा आय।
जिनगी खातिर सीख सिखाय।।
-नाचा

1091- शुरू कटै ता मन कहलाँव।
कटै आखिरी 'नम' हो जाँव।।
बीच कटै ता कुछु नइ पाँव।
ईश प्रार्थना, माथ नवाँव।।
-नमन

1092- कटै शुरू ता 'रस' हो जाय।
कटै आखिरी 'सार, कहाय।।
बीच कटै ता 'सास' पढ़ाय।
सादा रंगे चिरई आय।।
-सारस

1093- बीच कटै ता 'चाल' बताय।
कटै आखिरी 'चाव' कहाय।।
तीन वर्ण के हावय नाम।
आथे ये खाये के काम।।
-चावल

1094- शुरू कटै ता 'बड़ी' कहाय।
कटै आखिरी 'ईश' बलाय।।
हरै मिठाई के ये नाम।
आये ये खाये के काम।।
-रबड़ी

1095- बीच कटै ता 'खरा' जनाय।
कटै आखिरी चिट्ठी ताय।।
तीन वर्ण के नाँव सरेख।
सावचेत राहँय सब देख।।
-खतरा

1096- तीन वर्ण हे येला जान।
उल्टा-सीधा एक समान।।
शुरू कटै ता नाक कहाय।
कटै आखिरी कान सुनाय।।
-कनक

1097- शुरू कटै ता कान कहाय।
बीच कटै ता दूध पियाय।।
तीन वर्ण हे, का हे नाम।
बुता बाद तब आवै काम।।
-थकान

1098- कटै आखिरी 'नक' बन जाय।
बीच कटै नाली हो जाय।।
कटै शुरू ता फूल खिलाय।
तीन वर्ण हे, अमित बताय।।
-नकली

1099- उल्टा सीधा एक समान।
तीन वर्ण हे येला जान।
शुरू कटै ता लाज कहाय।
बीच कटै ता सजा सुनाय।।
-जलज

1100- शुरू कटै ता 'गर' बन जाय।
बीच कटै ता 'नर' कहलाय।।
कटै आखिरी 'नग' गिनवाय।
तीन वर्ण हे, कोन बताय।।
-नगर
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कन्हैया साहू 'अमित' ~ 9200252055...©®

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