रविवार, 12 मई 2024

महतारी महिमा

महतारी महिमा (चौपई छंद) बसदेवा गीत
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ईश्वर तोर होय आभास,
महतारी हे जेखर पास।
बनथे बिगड़ी अपने आप।
दाई हरथे दुख संताप।~1

दाई धरती मा भगवान,
देव साधना के वरदान।
दान धरम जप-तप धन धान,
दाई तोरे हे पहिचान।~2

दाई ममता के अवतार,
दाई कोरा अमरित धार।
महतारी के नाँव तियाग,
दाई अँचरा सोन सुभाग।~3

काबा काशी चारों धाम,
दाई देवी देवा नाम।
दाई गीता ग्रंथ कुरान,
मंत्र आरती गीत अजान।4

महतारी भाखा अनमोल,
बोली मधुरस मिसरी घोल।
महतारी तुलसी सुर छंद,
दाई दया मया आनंद।~5

दाई कागज कलम दवात, 
महतारी लाँघन के भात।
मेटय सबके भूख पियास,
दाई पढ़थे सकल उदास।~6

दाई थपकी लोरी गीत,
घाम जाड़ अउ गरमी सीत।
दाई मया मयारुक मीत,
सिरतों सुग्घर सुर संगीत।~7

दाई आँखी काजर कोर,
गौरेया कस घर भर सोर।
दाई तुलसी चौरा मोर,
बिन महतारी कोन सजोर।~8

जननी तैं जिनगी के मूल,
बिहना के तैं आरुग फूल।
माफी करथच सबके भूल,
चंदन तोर पाँव के धूल।~9

महतारी बिन अमित अनाथ,
काबर छोड़े दाई साथ।
 होगे सुन्ना सब संसार,
कोन पुरोही तोर दुलार।~10

दाई तोरे जय जयकार,
महतारी तैं प्रान अधार।
अँधियारी मा तैं उजियार,
पायलगी हे बारंबार।~11

रचना- कन्हैया साहू 'अमित'
शिक्षक- भाटापारा छत्तीसगढ़

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