गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024

छत्तीसगढ़ के छत्तीस भाजी

छत्तीसगढ़ के छत्तीस भाजी

01- अमारी भाजी (खट्टा भाजी)
अमारी भाजी ला छत्तीसगढ़ मा खट्टा भाजी, अमटाहा भाजी अउ सलल भाजी के नाव ले जानथें। येखर वनस्पति नाव 'हिबिस्कस केनेबिनस' हे। गजबेच अम्मठ भाजी के रूप मा येला कच्चा अउ सुक्खा दुनों प्रकार ले मनभर खाये जाथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो अमारी भाजी, (घाम मा चार-पाँच घंटा सुखाय अउ अइलाय), एक छटाक फींजे चना दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, एक नान्हें सुँतई हरदी भुरका, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, एक नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा चार ले पाँच गिलास पानी डारके डबका लव। कराही ला आगी आँच ले टारके डबकत पानी मा अइलाय भाजी ला डारदव। अब एक-दू मिनट अइसने छोड़दव। दू मिनट बाद भाजी ला चलनी मा हेर के बने तीन-चार पानी धोके निथारलव।
कराही मा तेल ला कड़का के लसुन अउ मिरचा के फोरन देदव। जब मिरचा अउ लसुन ललिया जाय तब कटाय गोंदली ला डारके एक-दू मिनट भूँजलव। फेर येखर बाद येमा फींजे चना दार ला डारके दू मिनट भूँजव अउ तहाँ निथरे भाजी ला डारदव। भाजी ला डारके बने खो दव। दू ले तीन मिनट भाजी चुरे के बाद येमा अपन सेवाद के नेत मा नून अउ भुरका हरदी डारके दू-चार मिनट अउ चुरन दव। अब आपके अमसुरहा अमारी भाजी चुर-पक के तियार हे, भात, बासी अउ रोटी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- अमारी भाजी मा आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट जइसन जिनिस भरपुरहा समाये रहिथे। देंह मा विटामिन मन के कमी-बेशी ला इही भाजी हा बरोबर पुरोथे। पेट के रोग-माँदी  घलो अमारी भाजी के खाये ला दुरिहा जाथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆
02- बर्रे भाजी (कुसुम भाजी)

बर्रे भाजी ला हमर छत्तीसगढ़ मा कुसुम भाजी के नाव ले घलाव जाने जाथे। येखर वनस्पति नाव कार्थेमस टिन्क्टोरिअस हे। बर्रे भाजी के खेती करे जाथे। येखर पाना मा छोट-छोट काँटा रहिथे जौन हा धरे ले हाथ मा अभरथे। जड़काला मा सबले जादा ये भाजी के सेवाद आथे। येखर कोंवर-कोंवर पाना अउ डेंटरामन ला भुँजिया अउ अमटाहा दुनों बिधि ले राँधे जाथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो बर्रे भाजी, एक पाव भाँटा, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, एक चुटकी भुरका हरदी, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, एक नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- कराही मा तेल ला कड़का के लसुन अउ मिरचा के फोरन देदव। जब मिरचा अउ लसुन ललिया जाय तब कटाय गोंदली ला डारके एक-दू मिनट भूँजलव। फेर येखर बाद कटाय भाँटा ला डारके दू -तीन मिनट भूँजव अउ तहाँ निथरे भाजी ला डारदव। भाजी ला डारके बने खो दव। दू ले तीन मिनट भाजी चुरे के बाद येमा अपन सेवाद के नेत मा नून अउ भुरका हरदी डारके दू-चार मिनट अउ चुरन दव। अब आपके बर्रे भाजी चुर-पक के तियार हे, भात, बासी अउ रोटी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- ये भाजी हा बड़ पुस्टई अउ देंह ला बलकर बनइया होथे। येहा हिरदे रोग, बीपी अउ डायबिटीज के मरीजमन खातिर बड़ नफा वाले भाजी हरय। येमा फास्फोरस, कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन, कैरोटीन, एमिनो अम्ल अउ लाइसिन भरपुरहा पाये जाथे। बर्रे के बीजा हा तेल पेरवाये के काम आथे।
●◆●●●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●
03- बोहार भाजी

गरमी के दिन मा अवइया ये भाजी हा भाजीमन के रानी कहाथे। बछर भर मा एकेच बेर ये भाजी हा मिलथे तेखर सेती बड़ ऊँचहा दाम मा बेचाथे। बोहार भाजी के उलहा पाना अउ फूल ला भाजी के रूप मा साग राँध के खाये जाथे। स्वाद अउ पुस्टई मा ये भाजी के कोनो सानी नइ हे।

राँधे खातिर जिनिस- एक पाव बोहार भाजी, एक छटाक फींजे चना दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, एक चुटकी भुरका हरदी, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा एक कप पानी डारके ओमा फींजे चना दार अउ कटाय गोंदली ला डार के दू-तीन मिनट चुरोवव। ओखर बाद भाजी ला डारके डुवा मा बने खोके ढँकना ला ढाँक दव। सात-आठ मिनट चुरे के बाद कटाय पताल, दही, भुरका हरदी अउ नून डारके खोवव। अब भाजी ला ढाँक के दस मिनट चुरोलव। भाजी बने चुर जाय ता कराही ला आँच ले उतार लव।
चुरे भाजी ला खाली थारी मा उलद दव। येखर बाद जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ादव। दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कटाय गोंदली अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। गोंदली के लाल होते साठ चुरे भाजी ला डारदव। अब आपके भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- येखर कोंवर पाना ले पातर पैखाना होय मा आराम मिलथे। ये भाजी हा पाचनतंत्र ला बलकर करथे। बोहार फर के काढ़ा हा छाती मा जमे कफ ला दुरिहाथे। फर हा कसही होथे जौन हा विष अउ कृमिनाशक होथे। येहा देंह खातिर जुड़वास होथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆
04- चेंच भाजी
 हमर प्रदेश मा चेंच भाजी हा दू किसम के मिलथे करिया चेंच अउ लाली चेंच। चेंच भाजी के वनस्पति नाव कोर्कोरस ओलीटोरियस हे। गरमी मौसम के सबले स्वादिष्ट भाजी चेंच भाजी हरय। येखर पाना चिक्कन होथे जेला साग राँधे जाथे। किसनहा भाईमन येला अपन खेत मा येखर खेती करथें। चेंच भाजी ला बड़ चेतलगहा राँधे जाथे, चिटिक गलती मा येखर स्वाद बिगड़ जाथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो चेंच भाजी, एक कप मही, दू-तीन पताल, आठ-दसठन आमा खोइला, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

 राँधे के बिधि- सबले पहिली भाजी ला सफ्फा निमार अउ धो के राखलव। ओखर बाद कराही मा दू डुवा तेल ला कड़का के लसुन अउ मिरचा के फोरन देदव। जब मिरचा अउ लसुन ललिया जाय तब कटाय गोंदली ला डारके एक-दू मिनट ढाँकदव। फेर येमा कटाय पताल ला डारके दो-चार मिनट भूँजलव। अब मही ला डारके बघार दव। मही जब बने डबके ला धरलय ता ओमा आमा खोइला अउ सफ्फा धोवाय भाजी ला ओइरदव। कराही के ढँकना ला ढाँक दव। दस-पंदरा मिनट बने चुरनदव। भाजी चुरे के बाद येमा अपन सेवाद के नेत मा नून डारदव। बीच-बीच मा करछुल ले खोवत रहव। जब भाजी के पानी अउँट जाय तब येला आँच ले उतारलव। अब तुँहर चेंच भाजी चुर-पक के तियार हे, भात, बासी अउ रोटी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- चेंच भाजी के पाना पिसाब के बढ़वार करथे। येखर ले पेट के रोग माँदी सफ्फा होथे। ये भाजी के खाय ले भूख बाढ़थे अउ देंह हा बलकर होथे। चेंच भाजी मा नँकन अकन गुण के खदान रहिथे येखर सेती येला घरभर भाथें।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆
05- चना भाजी
चना भाजी जड़काला मा मिलइया सबले स्वाद भरे भाजी होथे। येखर वनस्पति नाव सिसर एराटिनम हे। चना मा फर धरे के पहिली येखर कोंवर-कोंवर पाना ला भाजी साग राँधथें। हमर छत्तीसगढ़ मा येखर भाजी ला बड़ चहेट के खाये जाथे। किसनहा भाईमन चना के खेती करथें।
 
राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो चना भाजी (निमारे, धोये), एक छटाक फींजे चना दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, नून अपन सेवाद के नेत मा, एक पाव भाँटा (अपन स्वाद बर)।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, थोरिक सादा तिली के दाना, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, एक नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सफ्फा चना भाजी, पउलाय भाँटा अउ हरियर मिरचा ला फींजे चना दार संग आधा कप पानी डारके कूकर मा दू-चार सीटी बाजत तक चुरोलव। कूकर जुड़ाय के बाद बिन ढँकना के भाजी ला पानी अउँटत ले फेर चुरोलव। पानी अउँटे भाजी ला थारी मा रितालव। अब कराही मा तेल कड़का के कुचराय लसुन फोरी, खड़ा लाल मिरचा अउ तिली दाना के फोरन देदव। येमा भाजी ला ओइर के एक-दू मिनट चुरनदव। अब तियार चना भाजी साग ला तातेतात रोटी, भात, चीला अउ बासी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण - चना भाजी मा प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, डाइटरी फाइबर, आयरन अउ कैल्शियम पाये जाथे। ये भाजी हा पाचनशक्ति के बढ़वार करथे। कहूँ कभू पेट बिगड़ जाय ता चना भाजी खाना चाही। ये भाजा के रस कब्ज, पीलिया, डायबिटीज, अस्थमा जइसन रोम ला बने करथे। घेरी-बेरी जुड़-सरदी के समस्या जड़काला मा बहुते होथे। येखर ले बाँचे खातिर ये भाजी के सेवन ले लाभ मिलथे। भाजी मा समाय एंटीऑक्सीडेंट और दूसर पोषक तत्व देंह के इम्यूनिटी पॉवर ला बढ़ाथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●●◆●◆◆
06- चनौरी भाजी
 चनौरी भाजी हा गहूँ के खेत मा अपने आप उपजथे। येखर खेती नइ करे जाय येखर सेती बजार मा जादा न शइ बेचाय। चनौरी के भाजी हा मेथी के पाना जइसन नान्हें-नान्हें तीन पतिया दिखथे। येमा नान-नान पींयर-पींयर फूल धरथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो चनौरी भाजी सफ्फा निमराय, एक छटाक फींजे चना दार, दू-तीन गोंदली लाम-लाम कटाय, चार-पाँच पताल कटाय, आठ-दस लसुन फोरी कुचराय, नून अपन स्वाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- आठ-दस फोरी लसुन कुचराय, दू-तीन खड़ा लाल मिरचा कुटका मा।

सबले पहिली कराही एक गिलास पानी डारके फींजे चना दार डबकालव। डबकत पानी मा सफ्फा भाजी ला ओइर के दू-तीन मिनट चुरनदव। येखर बाद कटाय पताल ला भाजी संग समो के चार-छ: मिनट चुरोलव। चुरत भाजी साग ला बीच-बीच मा करछुल ले खोवत रहव। चार-छ: मिनट बाद ये चुरे भाजी ला थारी मा रितालव। अब कराही मा तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कुचराय लसुन, कटाय गोंदली अउ लाल मिरचा डारके बघार के ढाँकदव। फोरन के ललहूँ होय के बाद कटाय पताल ला डारके येला गलन दव। पताल के गल जाय के बाद थारी मा रिताय भाजी ला कराही मा डारके बने खोदव। ढक्कन ला ढाँकके दू-तीन मिनट चुरनदव। अब तियार चनौरी भाजी साग ला तातेतात रोटी, भात, चीला, बासी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- जड़काला मा चनौरी भाजी हा मिलथे। बछर भर मा एक बेर खच्चित येखर भाजी साग खाना चाही येमा बड़ स्वाद रहिथे। हाथ-पाँव, जोड़मन के पीरा, कमजोरी मा ये भाजी हा बड़ उपयोगी होथे। येमा आयरन के भरमार रहिथे जौन हा देंह मा लहू के कमी ला पूरा करथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆◆◆◆◆◆
07- चरोटा भाजी
चरोटा भाजी चउमास मा खेत-खार, भाँठा, परिया अउ खाली जघा अपने अपन उपजथे। येखर नवा उलहा पानामन ला भाजी साग राँध के खाय जाथे। येखर वनस्पति नाव कैसिया टोरा हे। 

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो चरोटा भाजी, एक छटाक फींजे तिंवरा दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, दू-तीन पताल कटाय, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा एक गिलास पानी डारके ओमा फींजे तिंवरा दार ला बने डबकाव। डबकत कराही मा चरोटा भाजी ला डारके दू-चार मिनट चुरनदव। येखर बाद येमा कटाय पताल अउ नून डारके खोवव। अब भाजी ला ढाँक के पानी के अउँटत ले चुरोवव। भाजी सुक्खा हो जाय ता कराही ला आँच ले उतार लव।
चुरे भाजी ला खाली थारी मा उलद दव। येखर बाद जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ादव। दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कटाय गोंदली अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। गोंदली के लाल होते साठ चुरे भाजी ला डारदव। थोरिक चुरनदव। अब आपके भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- चरोटा भाजी खाय के गँज अकन फायदा हे। येहा देंह के हानिकारक जिनिसमन ला बाहिर निकाले के काम करथे। देंह ला पोठ करके रोग प्रतिरोधक क्षमता ला बढ़ाथे। चरोटा के उलहा पाना के साग लीवर के रोग ला बने करथे। येखर बीजा के पाउडर हा मुँड़पीरा, खाँसी अउ चेहरा के बरहट ला मेटथे। एक्जीमा, सोरायसिस, दाद-खाज, खजरी मा येखर पाना ला डबका के ओखर पानी ले नहाना चाही। 
◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●
08- चौलाई भाजी
चौलाई भाजी हा गरमी अउ बरसात के मौसम मा बड़ उपयोगी होथे। येखर वनस्पति नाव आमारान्थूस कौदातूस हे। किसनहा भाईमन चौलाई भाजी के खेती करथें। वइसे जादा भाजीमन हा जड़काला के मौसम आथे फेर चौलाई हा गरमी अउ बरसात मा आथे। येखर कोंवर-कोंवर पाना अउ डेंटरा ला साग राँधे जाथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो चौलाई भाजी, एक छटाक फींजे मसूर दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, दू-तीन पताल कटाय, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा एक गिलास पानी डारके ओमा फींजे मसूर दार ला बने डबकाव। डबकत कराही मा चौलाई भाजी ला डारके दू-चार मिनट चुरनदव। येखर बाद येमा कटाय पताल अउ नून डारके खोवव। अब भाजी ला ढाँक के पानी के अउँटत ले चुरोवव। भाजी सुक्खा हो जाय ता कराही ला आँच ले उतार लव।
चुरे भाजी ला खाली थारी मा उलद दव। येखर बाद जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ादव। दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कटाय गोंदली अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। गोंदली के लाल होते साठ चुरे भाजी ला डारदव। थोरिक चुरनदव। अब आपके भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

 ओखद गुण- चौलाई भाजी देंह ला रोग पोठ करके रोग प्रतिरोधक क्षमता ला बढ़ाथे। गाठिया, ब्लडप्रेशर अउ हिरदे के रोगीमन खातिर वरदान बरोबर हे। पाचनशक्ति का मजबूत करके कब्ज के बिमारी ठीक करथे। चौलाई भाजी आँखी खातिर बड़ उपयोगी होथे। लहू के कमी ला पूरा करके य भाजी हा हिमोग्लोबिन के बढ़वार करथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆◆◆◆◆◆◆◆
09- गुमी भाजी
गुमी भाजी चउमासा अउ जड़काला मा भाँठा, परिया, खेत के मेड़, नरवा-ढोड़गा तीर मा अपने अपन उपजे रथे। गुमी येखर वनस्पति नाव ल्यूकस सैफलोटस हे। गुमी भाजी के उलहा पानामन ला फूल धरे के पहिली सिलहोके भाजी साग राँधे जाथे। येखर पाना खसर्रा और बीच का लकीर वाला होथे, पाना ला छूए के बाद हाथ ले ओखर सोंध आथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो गुमी भाजी, एक छटाक फींजे चना या तिंवरा दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, दू-तीन पताल कटाय, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा एक गिलास पानी डारके ओमा फींजे चना या तिंवरा दार ला बने डबकाव। डबकत कराही मा गुमी भाजी ला डारके दू-चार मिनट चुरनदव। येखर बाद येमा कटाय पताल अउ नून डारके खोवव। अब भाजी ला ढाँक के पानी के अउँटत ले चुरोवव। भाजी सुक्खा हो जाय ता कराही ला आँच ले उतार लव।
चुरे भाजी ला खाली थारी मा उलद दव। येखर बाद जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ादव। दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कटाय गोंदली अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। गोंदली के लाल होते साठ चुरे भाजी ला डारदव। थोरिक चुरनदव। अब आपके भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- गुमा भाजी हा बड़ ओखद गुण वाले पौधा माने गे हे। येहा जर-बुखार, मुँड़पीरा, मधुमेह के नाश करइया होथे। येखर पाना के उपयोग कफ-पित्त अउ चर्मरोग मा करे जाथे। गुमी के पौधा हा जहर उतारे बड़ सुग्घर ओखद हरय।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆
10- गोल भाजी- 
गोल भाजी हा परती परे भुँइया मा अपने अपन उपज जाथे। येखर वनस्पति नाव पार्चालुका ओलेरेसिया हे। गोल भाजी के पानामन गोलवा अउ मोटहा रहिथे। येखर स्वाद चिटिक अमसुर, नूनछुर और जुड़हा बानी होथे। येमा पींयर-पीयंर फूल अउ केप्सूल असन फर लगथे। पाना मा सोंध रथे येखर सेती येला सलाद कस बउरे जाथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो गोल भाजी, एक छटाक फींजे चना दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, दू-तीन पताल कटाय, एक चुटकी भुरका हरदी, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली भाजी ला सफ्फा निमार अउ धो के राखलव। ओखर बाद कराही मा दू डुवा तेल ला कड़का के लसुन अउ मिरचा के फोरन देदव। जब मिरचा अउ लसुन ललिया जाय तब कटाय गोंदली ला डारके एक-दू मिनट ढाँकदव। फेर सफ्फा निमराय भाजी ला येमा ओइरदव। कराही के ढँकना ला ढाँक दव। दू-चार मिनट बने चुरनदव। अब आधा चुरे भाजी मा कटाय पताल, भुरका हरदी अउ अपन सेवाद के नेत मा नून डारदव। बीच-बीच मा करछुल ले खोवत रहव। जब भाजी के जम्मों पानी अउँट जाय तब येला आँच ले उतारलव। अब तुँहर गुमी भाजी चुर-पक के तियार हे, भात, बासी अउ रोटी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- गुमी भाजी हा पिसाब के बिमारी, हाड़ा-हाड़ा के पीरा अउ नोनीपिला के रोग-राई ला दुरिहाथे। पेचिश के समस्या, बुखार अउ दाद, खाज, खजरी जइसन रोग मा फायदा करथे। केंसर अउ डायबिटीज जइसन बड़का बिमारी मा घलाव येहा फायदा करथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●●
11- गोंदली भाजी
छत्तीसगढ़ मा प्याज भाजी ला गोंदली भाजी कहे जाथे। ये वनस्पति नाव एलियम सपा हे। किसनहा भाईमन येखर खेती करथें। जड़काला मौसम के सबले स्वाद वाले मा अव्वल गोंदली भाजी होथे। येखर कोंवर पाना अउ नान्हें कांदा के भाजी साग राँधे जाथे। भाजी के उपयोग सलाद अउ फोरन मा घलाव करथें।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो गोंदली भाजी, एक छटाक फींजे चना/मसूर/राहेर, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, दू-तीन पताल कटाय, एक चुटकी भुरका हरदी, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा फींजे दार ला डारके दू-चार मिनट डबकालव। फेर येमा गोंदली भाजी ला डारके ढकना ला ढाँकदव। तीन-चार मिनट चुरनदव। बीच-बीच मा खोवत रहव। अब येमा कटाय पताल भुरका हरदी अउ नून डारदव। भाजी के पानी मरत ले चुरोलव। ये चुरे भाजी ला थारी मा रितालव। येखर बाद कराही मा दू डुवा तेल ला कड़का के लसुन अउ मिरचा के फोरन देदव। जब मिरचा अउ लसुन ललिया जाय तब चुरे भाजी ला ओइरदव। अब एक-दू मिनट ढकना ढाँकदव। अब तुँहर गुमी भाजी चुर-पक के तियार हे, भात, बासी अउ रोटी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुन- गोंदली भाजी बिटामिन ले भरपुरहा रहिथे। येमा सल्फर, आयरन अउ बिटामिन 'सी' बहुते होथे। गोंदली भाजी मा पैक्टिन घलाव पाये जाथे जउन हा केंसर बिमारी ले बँचाथे। जुड़-सरदी, खाँसी-खोखी, बी.पी अउ हिरदे के रोग मा अराम देथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●●
12- खेड़हा भाजी
छत्तीसगढ़ मा खेड़हा भाजी ला जरी भाजी घलो कहे जाथे। ये वनस्पति नाव एमारेंथस गेंगटिकस हे। येला चौलाई भाजी के दूसर रूप माने जाथे। खेड़हा हा चौमास ले जड़काला तक बहुते मिलथे। येला बारी-बखरी मा उपजाय जाथे। येखर कोंवर-कोवर पाना अउ डेंटरा ला मही डारके अमटाहा भाजी साग राँधथें। येला राहेर/मसूर दार डारके मसलहा घलो राँधे जाथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो खेड़हा भाजी, एक छटाक फींजे राहेर/मसूर दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, दू-तीन पताल कटाय, एक चुटकी भुरका हरदी अउ नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा एक गिलास पानी डारके ओमा फींजे दार ला बने डबकाव। डबकत कराही मा खेड़हा भाजी ला डारके दू-चार मिनट चुरनदव। येखर बाद येमा कटाय पताल, भुरका हरदी अउ नून डारके खोवव। अब भाजी ला ढाँक के पानी के अउँटत ले चुरोवव। भाजी सुक्खा हो जाय ता कराही ला आँच ले उतार लव।
चुरे भाजी ला खाली थारी मा उलद दव। येखर बाद जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ादव। दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कटाय गोंदली अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। गोंदली के लाल होते साठ चुरे भाजी ला डारदव। थोरिक चुरनदव। अब आपके भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- जुड़-सरदी मा खेड़का भाजी के सूप पीये ले बड़ फायदा होथे। ये भाजी के तासीर गरम होथे येखर सेती येहा जड़काला मा बहुते उपयोगी होथे। ग्रीन ब्लड सेल्स इही भाजी मा मिलथे। छत्तीसगढ़ मा घरोघर खेड़हा भाजी ला बड़ भाथें।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆
13- मखना भाजी
मखना भाजी ला कोंहड़ा भाजी घलाव कहे जाथे। येखर वनस्पति नाव कुकुरबिटा मेक्समा हे। येहा घर, अँगना, दुआर अउ बारी-बखरी मा नार छछले रथे। किसनहा भाईमन भर्री, भाँठा मा येखर खेती करथें। गरमी अउ बरसाती मौसम मा सबले जादा मखना भाजी खाये जाथे। येमा पींयर-पींयर बड़का फूल  धरथे जेखर बहुते बढ़िया भजिया बनथे। मखना फर के बड़ सुग्घर बरी बनाय जाथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो चना भाजी (निमारे, धोये, पउले), एक छटाक फींजे चना दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, थोरिक सादा तिली के दाना, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, एक नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- एक गिलास पानी संग कूकर मा निमारे, धोय, पउलाय मखना भाजी, फींजे चना दार अउ कटाय पताल ला डारके दू-चार सीटी बाजत तक चुरोलव। कूकर जुड़ाय के बाद बिन ढँकना के भाजी ला पानी अउँटत ले फेर चुरोलव। पानी अउँटे भाजी ला थारी मा रितालव। अब कराही मा तेल कड़का के कुचराय लसुन फोरी, खड़ा लाल मिरचा अउ तिली दाना के फोरन देदव। येमा भाजी ला ओइर के दू-तीन मिनट चुरनदव। अब तियार मखना भाजी साग ला तातेतात रोटी, भात, चीला अउ बासी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- मखना भाजी चुन्दी के समस्या ला दुरिहाथे। येखर भाजी हा देंह मा लहू के बढ़वार करके पाचन तंत्र ला मजबूत बनाथे। मखना भाजी मा स्वाद अउ सेहत के भरमार होथे। येमा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम अउ फास्फोरस भरपुरहा मिलथे। 
●◆●◆●◆●◆●◆●◆◆◆●◆◆●◆●
14- मछरिया भाजी
मछरिया बरसाती मौसम मा फसलमन के संग अपने अपन उपजने वाला पौधा हरय। येखर वनस्पति नाव कारचरस एक्युटंगगुलस हे। येखर उलहा पाना अउ कोंवर डेंटरामन के भाजी साग राँधे जाथे।  ये भाजी बरसात ले जड़काला तक अराम से मिलत रहिथे। मछरिया भाजी हा लाली चेंच भाजी जइसन दिखथे। येखर पाना सकेला अउ लाम-लाम रहिथे। येला अमटाहा अउ मसलहा दुनों तरीका ले राँधथें।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो मछरिया भाजी निमारे,धोये, मही या आमाखोइला या अमली (अपन हिसाब ले), चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, चार-पाँच पताल कटाय, एक चुटकी भुरका हरदी, नून अपन सेवाद के नेत मा। 

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, एक नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा एक गिलास मही डारके डबका लव। कराही के डबकत मही मा भाजी ला डारदव। ढकना ला ढाँक के दू-तीन मिनट अइसने छोड़दव। दू-तीन मिनट बाद ये भाजी मा कटाय पताल, हरदी अउ नून डारके ढाँकदव। भाजी के पानी मरत ले चुरनदव। भाजी ला सुक्खा चपचपहा उतारके थारी मा उलददव। जुच्छा कराही मा तेल ला कड़का के लसुन अउ मिरचा के फोरन देदव। जब मिरचा अउ लसुन ललिया जाय तब कटाय गोंदली ला डारके एक-दू मिनट ढाँक के भूँजलव। अब तुरते भाजी ला डारके बने खो दव। दू-तीन बाद आपके भाजी चुर-पक के तियार हे, भात, बासी अउ रोटी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- मछरिया भाजी मा स्वाद अउ सेहत के भरमार रहिथे फेर जादा खाय मा नुकसान करथे। सही मात्रा मा खाय ले पेट के कब्ज ला दुरिहाथे। किडनी के बिमारी मा ये भाजी हा बड़ फायदा देथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆◆●
15- मुरई भाजी
छत्तीसगढ़ मा मूली भाजी ला मुरई भाजी कहे जाथे। येखर वनस्पति नाव रैफनस सैटाइवस हे। किसनहा भाईमन येखर खेती करथें। मुरई के जरी हा सलाद, साग अउ कोंवर पाना हा भाजी के रूप मा बहुते खाये जाथे। जड़काला मा घरोघर येला चहेट के खाथें। मुरई भाजी अपन सोंध के कारण जादा पहिचाने जाथे।
मुरई भाजी जम्मों भाजी के अगुवा हरय।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो मुरई भाजी (निमारे, धोये, पउले), एक छटाक फींजे तिंवरा/चना दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- एक गिलास पानी संग कूकर मा निमारे, धोय, पउलाय मुरई भाजी, फींजे चना दार अउ कटाय पताल ला डारके दू-चार सीटी बाजत तक चुरोलव। कूकर जुड़ाय के बाद बिन ढँकना के भाजी ला पानी अउँटत ले फेर चुरोलव। पानी अउँटे भाजी ला थारी मा रितालव। अब कराही मा तेल कड़का के कुचराय लसुन फोरी, खड़ा लाल मिरचा अउ तिली दाना के फोरन देदव। येमा भाजी ला ओइर के दू-तीन मिनट चुरनदव। अब तियार मुरई भाजी साग ला तातेतात रोटी, भात, चीला अउ बासी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- मुरई भाजी मा सल्फर अउ सोड़ियम के मात्रा रथे जौन हा जड़काला मा देंह ला बड़ फायदा करथे। ये भाजी हा लहू ला सफ्फा करके दाद, खाज अउ खजरी ला दुरिहाथे। मुरई भाजी हमर देंह मा लहू अउ शुगर के लेबल ला कंट्रोल करथे। येमा फाइबर के गुण होथे। मुरई भाजी जुन्ना खाँसी अउ कफ ला बने करथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆◆◆●◆◆◆
16- तिंवरा भाजी
छत्तीसगढ़ मा तिंवरा के खेती करे जाथे। येखर बोवाई धान के खेत मा धान लुवाय के पहिली करथें। ये वनस्पति नाव लेथायरस सटीवा हे। तिंवरा ला रबी फसल कहिथें। तिंवरा मा फूल माते रहिथे तेने बेरा मा येखर केंवची पानामन ला भाजी साग राँधथें। येखर फर धरे के बाद पाना चेर्रा जाथे। तिंवरा के उलहा पानामन ला भाजी के रूप मा टोर सुखो के सुकसा करके राखे रथें। गरमी घरी जब साग-भाजी के कमी होथे ता इही सुकसा भाजी ला बोंइर डारके राँधे जाथे। 

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो तिंवरा भाजी (निमारे, धोये, पउले), एक छटाक फींजे तिंवरा/चना दार, एक पाव भाँटा पउलाय, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- कूकर मा एक गिलास पानी संग निमारे, धोय, पउलाय तिंवरा भाजी, फींजे चना दार, पउलाय भाँटा अउ कटाय पताल ला डारके दू-चार सीटी बाजत तक चुरोलव। कूकर जुड़ाय के बाद बिन ढँकना के भाजी ला पानी अउँटत ले फेर चुरोलव। पानी अउँटे भाजी ला थारी मा रितालव। अब कराही मा तेल कड़का के कुचराय लसुन फोरी, खड़ा लाल मिरचा अउ तिली दाना के फोरन देदव। येमा भाजी ला ओइर के दू-तीन मिनट चुरनदव। अब तियार तिंवरा भाजी साग ला तातेतात रोटी, भात, चीला अउ बासी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- तिंवरा भाजी मा सबले जादा प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, आयरन, कैल्शियम पाये जाथे। इन सबके सेती भाजी हा देंह खातिर बड़ फायदा करथे। गरीब परिवारमन के येहा राहेर दार बरोबर होथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆
17- कोचई भाजी
छत्तीसगढ़ मा अरबी भाजी ला कोचई भाजी के रूप मा जाने जाथे। येखर वनस्पति नाव कोलोकेसिया एस्कुलेंटा हे। कोचई भाजी के पाना ले छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध इड़हर साग राँधथें। मही/दही संग बेसन लपेट के इड़हर साग जन-जन चहेट के खाथें। कोचई भाजी के बहुते सुग्घर भजिया बनथे। स्वाद अउ सेहत मा ये भाजी के कोनो जवाब नइ हे।

राँधे खातिर जिनिस- बीस-पच्चीस कोचई पान (बने धोये, पउले), एक छटाक फींजे चना दार, दू-चार हरियर मिरचा कटाय, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कूकर मा एक गिलास पानी संग निमारे, धोय, पउलाय कोचई भाजी, फींजे चना दार,  कटाय मिरचा, पताल ला डारके दू-चार सीटी बाजत तक चुरोलव। कूकर जुड़ाय के बाद बिन ढँकना के भाजी ला पानी अउँटत ले फेर चुरोलव। पानी अउँटे भाजी ला थारी मा रितालव। अब कराही मा तेल कड़का के कुचराय लसुन फोरी, खड़ा लाल मिरचा अउ तिली दाना के फोरन देदव। येमा भाजी ला ओइर के दू-तीन मिनट चुरनदव। अब तियार कोचई भाजी साग ला तातेतात रोटी, भात, चीला अउ बासी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- कोचई मा नँगत अकन ओखद गुण के भरमार रथे। येखर पौधा मा एंटीऑक्सीडेंट भरपुरहा होय ले येहा पीरा ला हरथे, ब्लडप्रेशर अउ वजन ला कंट्रोल करथे, पाचनतंत्र ला पोठलग बनाथे। आँखी के समस्या मा कोचई के सेवन हा फायदा देथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆
18- कांदा भाजी
कांदा भाजी छत्तीसगढ़ के सबले सस्ता अउ सुलभ जनप्रिय भाजी के रूप मा प्रसिद्ध हे। येखर वनस्पति नाव आइपोमिया बटाटा हे। येहा स्वाद अउ सेहत मा बहुते बढ़िया हे। कांदा भाजी अँगना, बारी-बखरी मा बड़ असानी ले लग जाथे। बिन कोनो पिचकाट के येहा नार के रूप बड़ छछलथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो कांदा भाजी (धोय, निमारे) बीस-तीस सुक्खा बोंइर (निमारे), एक छटाक फींजे चना दार, तीन-चार पताल(कटाय), नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा फींजे चना दार ला एक गिलास पानी डारके डबकालव। डबकत पानी मा भाजी ला ओइरदव। जब भाजी थोरिक चुर जाय तब बोंइर ला डारदव। ढकना ला ढाँक के दू-चार मिनट चुरनदव। बीच-बीच मा करछुल ले खोवत रहव। अब कटाय पताल अउ नून डारके ढकना ढाँकदव। भाजी के पानी मरत ले कमती आँच मा चुरनदव। जब भाजी चपचपहा हो जाय ता उतार के थारी मा उलददव।
अब जुच्छा कराही मा दू डुवा तेल ला कड़का के लसुन अउ मिरचा के फोरन देदव। जब मिरचा अउ लसुन ललिया जाय तब कटाय गोंदली ला डारके एक-दू मिनट ढाँकदव। थारी के भाजी ला येमा ओइरदव। बने खो के दू मिनट ढाँकदव। अब तुँहर कांदा भाजी चुर-पक के तियार हे, भात, बासी अउ रोटी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- कांदा भाजी मा एंटी-कार्सिनोजेन के गुण पाये जाथे जौन हा केंसर ले बाँचे मा सहायता करथे। ये भाजी मा फाइबर के मात्रा घलाव बहुते रथे जेखर देंह मा आये सूजन ला कमतियाथे। कांदा भाजी के खाये ले ब्लडप्रेशर बरोबर नेत मा रहिथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆◆◆●◆●◆◆◆
19- मुनगा भाजी
मुनगा देशभर मा सहजन के नाव प्रसिद्ध हे। येखर वनस्पति नाव मोरिंगा ओलिफेरा हे। मुनगा के बड़का रूख होथे। येखर सरी अंग मा ओखद गुण भरे रहिथे तभे येखर पाना, डारा, फूल, फर, जरी सबो काम आथे। येखर कोंवर-कोंवर उलहा पानामन ला तुरते अउ सुकसा करे भाजी साग राँधे जाथे। मुनगा पाना के चटनी घलाव बनाथें। येखर भाजी चिटिक कसही होथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो मुनगा भाजी (धोय, निमारे), एक छटाक फींजे चना/तिंवरा दार, तीन-चार पताल(कटाय), नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा फींजे चना दार ला एक गिलास पानी डारके डबकालव। डबकत पानी मा भाजी ला ओइरदव। ढकना ला ढाँक के दू-चार मिनट भाजी ला बने चुरनदव। बीच-बीच मा करछुल ले खोवत रहव। अब कटाय पताल अउ नून डारके ढकना ढाँकदव। भाजी के पानी मरत ले कमती आँच मा चुरनदव। जब भाजी चपचपहा हो जाय ता उतार के थारी मा उलददव।
अब जुच्छा कराही मा दू डुवा तेल ला कड़का के लसुन अउ मिरचा के फोरन देदव। जब मिरचा अउ लसुन ललिया जाय तब कटाय गोंदली ला डारके एक-दू मिनट ढाँकदव। थारी के भाजी ला येमा ओइरदव। बने खो के दू मिनट ढाँकदव। अब तुँहर मुनगा भाजी चुर-पक के तियार हे, भात, बासी अउ रोटी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- मुनगा के पाना मा नँगत आयरन के मात्रा पाये जाथे तेखर सेती देंह मा लहू के बढ़वार करथे। येहा पेट के कृमिमन के नाश करथे। येखर भाजी आँखी अउ चाम ला सुग्घर राखथे। हैजा अउ पीलिया मा मुनगा भाजी बड़ फायदा देथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●●◆●◆●
20- पटवा भाजी
छत्तीसगढ़ के सबले प्रसिद्ध भाजी मा पटवा भाजी के नाव घलाव आगू हावय। येखर वनस्पति नाव क्रोटोलेरिया जन्सिया हे। हमर प्रदेश मा पटवा भाजी दू किसम के पाये जाथे, सादा पटवा अउ लाली पटवा। सादा पटवा के स्वाद कसही अउ लाली पटवा के स्वाद अमसुर होथे। पटवा के डारा आगी बारे के अउ ओखर छाला हा डोरी बरे के काम आथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो पटवा भाजी (धोय, निमारे), एक छटाक फींजे चना/तिंवरा दार, तीन-चार पताल(कटाय), एक चुटकी भुरका हरदी, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा दू-तीन गिलास पानी डारके डबकालव। डबकत पानी मा भाजी ला ओइरदव। ढकना ला ढाँक के दू-चार मिनट भाजी ला बने चुरनदव। अब ये चुरे भाजी ला जालीदार बर्तन मा पलटदव। ये भाजी ले साफ जुड पानी मा दू-तीन बेर अउ बने रगड़ के धोलव। ये धोवाय भाजी ला अलग बर्तन मा राखदव। कराही मा एक कप पानी डारके फींजे चना दार ला डारके थोरिक डबकालव। येमा कटाय गोंदली, पताल, हरदी अउ नून डारके दू-तीन मिनट चुरनदव। अब येमा दूसर बर्तन मा राखे भाजी ला डारदव। भाजी के पानी मरत ले चुरनदव। ये चुरे भाजी ला अलग राखलव। अब जुच्छा कराही मा दू डुवा तेल ला कड़का के लसुन अउ मिरचा के फोरन देदव। जब मिरचा अउ लसुन ललिया जाय तब डारके एक-दू मिनट ढाँकदव। थारी के भाजी ला येमा ओइरदव। बने खो के दू मिनट ढाँकदव। अब तुँहर पटवा भाजी चुर-पक के तियार हे, भात, बासी अउ रोटी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- पटवा भाजी देंह खातिर जुड़वास होथे। येमा विटामिन 'ए', 'सी' अउ आयरन के मात्रा बहुते पाये जाथे। येखर सेवं करे ले ब्लडप्रेशर अउ हाइपरटेंशन ले बाँचे जा सकथे। येहा भूख बढ़ाथे अउ गरमी मा लू ले बँचाथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆◆◆◆◆●◆◆◆
21- कौआकेनी भाजी
बछरभर मा एक बेर मिलइया, ओखद गुण के भरमार कौआकेनी भाजी होथे। येखर वनस्पति नाव कोमोलिना बेंघालेंसिस हे। येहा बरसात ले सरदी के बीच अपने अपन बन-कचरा असन उपजथे। येखर फूल के रंग नीला रहिथे। येहर कोंवर-कोंवर पाना अउ डारा के भाजी साग राँधे जाथे। स्वाद अउ सेहत मा कौआकेनी भाजी बड़ सुग्घर होथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो कौआकेनी भाजी, एक छटाक फींजे चना दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा एक गिलास पानी डारके ओमा फींजे चना दार अउ सफ्फा निमारे भाजी ला डार के ढकना लगाके तीन-चार मिनट चुरोवव। अब येमा कटाय पताल अउ नून डारके ढाँकदव। भाजी के पानी अँटावत ले बने चुरनदव। चार-पाँच मिनट बाद चुरे भाजी ला खाली थारी मा उलद दव। येखर बाद जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ादव। दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कटाय गोंदली अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। गोंदली के लाल होते साठ चुरे भाजी ला डारदव। एक-दू मिनट मा आपके भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- कौआकेनी भाजी हा पिसाब ले समस्या ला दुरिहाथे अउ पिसाब के मात्रा बढ़ाथे। येखर पाना ला सबले बढ़िया इम्यूनिटी बूस्टर माने जाथे। मनखे के चाम मा सूजन अउ कुष्ठ रोग ले उबरे खातिर ये भाजी के उपयोग करे जा सकथे। देंह मा कोनो जघा जर जाथे ता कौआकेनी के उलहा पाना ले फायदा मिलथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆◆◆●◆◆◆
22- भथवा भाजी
छत्तीसगढ़ मा बथुआ भाजी ला भथवा भाजी कहिथें। येखर वनस्पति नाव चिनोपोडीयम एल्बम हे। जड़काला मा बड़ उपयोगी भाजी के रूप मा येखर सेवन करे जाथे। भथवा के उलहा पाना अउ केंवची डेंटरामन के भाजी साग राँधथें। येखर भाजी ले साग, पराठा, भजिया अउ रायता बनाय जाथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो भथवा भाजी, एक छटाक फींजे चना दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा एक गिलास पानी डारके ओमा फींजे चना दार अउ सफ्फा निमारे भाजी ला डार के ढकना लगाके तीन-चार मिनट चुरोवव। अब येमा कटाय पताल अउ नून डारके ढाँकदव। भाजी के पानी अँटावत ले बने चुरनदव। चार-पाँच मिनट बाद चुरे भाजी ला खाली थारी मा उलददव। येखर बाद जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ादव। दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कटाय गोंदली अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। गोंदली के लाल होते साठ चुरे भाजी ला डारदव। एक-दू मिनट मा आपके भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- भथवा भाजी के गुण बहुते हे। येमा प्रोटीन अउ खनिज के भरमार होथे। येखर भाजी खाये ले पेट के कृमि अउ हिरदे के तकलीफ मा अराम मिलथे। पेट ले जुड़े रोग-राई मा येहा बड़ फायदा करथे। भथवा भाजी मा पाला भाजी अउ पुतका भाजी ले जादा गुण समाय रहिथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆
23- कोइलार भाजी
सबले सुग्घर अउ लोकप्रिय के रूप मा कोइलार भाजी जाने जाथे। गरमी के मौसम मा सबले स्वाद वाले भाजी माने गे हे। ये वनस्पति नाव बुहिनिया परपुरिया हे। येखर उलहा-उलहा पाना अउ रिंगीचिंगी फूल मनखे के मन ला मोह लेथे। कचनार के कोंवर पाना अउ डोहड़ी के भाजी साग राँधे जाथे। कोइलार भाजी के रायता अउ चटनी बनथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो कोइलार भाजी, एक छटाक फींजे चना दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, दू-चार पताल कटय, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा एक गिलास पानी डारके ओमा फींजे चना दार अउ सफ्फा निमारे कोइलार भाजी ला डार के ढकना ढाँक तीन-चार मिनट चुरोवव। अब येमा कटाय पताल अउ नून डारके फेर ढाँकदव। भाजी के पानी अँटावत ले बने चुरनदव। चार-पाँच मिनट बाद चुरे भाजी ला खाली थारी मा उलददव। येखर बाद जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ादव। दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कटाय गोंदली अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। गोंदली के लाल होते साठ चुरे भाजी ला डारदव। एक-दू मिनट मा आपके भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- कोइलार भाजी के उपयोग ले देंह के कोनो जघा मा होय गाँठ गल जाथे। लहू के खराबी, चाम के जम्मों रोग-राई मा कोइलार के छाला हा काम आथे। देंह मा गाँठ-गाँठ के पीरा ला कोइलार के उपयोग ला हराथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆◆◆●◆
24- करमत्ता भाजी
करमत्ता भाजी अपने आप उपजइया भाजी हरय फेर येखर खेती घलाव करे जाथे। येखर वनस्पति नाव आइपोमिया एक्काटिका हे। करमत्ता भाजी अब बारो महीना बजार-हाट मा मिलथे। जिहा-जिहाँ पानी माड़थे उहाँ-उहाँ करमत्ता भाजी छछलथे। पानी जादा होय ले घलाव करमत्ता के नार गलय नहीं।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो करमत्ता भाजी, एक छटाक फींजे चना दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, दू-चार पताल कटय, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा एक कप पानी डारके ओमा फींजे चना दार अउ सफ्फा निमारे करमत्ता भाजी ला डार के ढकना ढाँक तीन-चार मिनट चुरोवव। अब येमा कटाय पताल अउ नून डारके फेर ढाँकदव। भाजी के पानी अँटावत ले बने चुरनदव। चार-पाँच मिनट बाद चुरे भाजी ला खाली थारी मा उलददव। येखर बाद जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ादव। दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कटाय गोंदली अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। गोंदली के लाल होते साठ चुरे भाजी ला डारदव। एक-दू मिनट मा आपके भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- करमत्ता भाजी बल्डप्रेशर ला कंट्रोल मा राखथे। येखर भाजी कुष्ठ रोग, पीलिया, आँखी के बिमारी अउ कब्ज रोग मा बड़ फायदा देथे। येहा दाँत अउ हाड़ा ला ठोसलग बनाथे। करमत्ता भाजी देंह मा रोग ले लड़े के ताकत बढ़ाथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆
25- पोंई भाजी
पोईं भाजी एक बेर लगाय ले कतको बछर तक फरत-फूलत हरियर रहइया नार होथे। येखर वनस्पति नाव बसेल्ला एल्बा हे। येला हमन देशी पाला भाजी के नाव ले घलाव जानथन। येहा चिटिक जघा मा अपने आप उपजइया हरय। येला हमन अपन घर, अँगना अउ गमला ला लगा के उपयोग कर सकथन। येहा दू प्रकार के होथे, पहिली हरियर पानावाला अउ दूसर हा भाँटा रंग के पानावाला।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो पोंई भाजी, एक पाव आलू कटाय, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, दू-चार पताल कटय, एक चुटकी भुरका धनिया, भुरका हरदी, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि-  जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ाके दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कटाय गोंदली अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। गोंदली के लाल होते साठ कटाय आलू ला डारके दू-चार मिनट ढकना ढाँकके भूँजलव। जब आलू आधा चुरत आ जाय तब येमा पोंई भाजी ला डारके अउ दू-चार मिनट चुरनदव। येखर बाद कटाय पताल ला डारके दू-तीन मिनट भूँजव। आखिर मा भुरका हरदी, धनिया अउ नून डारके थोरिक अउ चुरनदव। अब आपके पोंई भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- पोंई भाजी के पाना चिटिक चुरपुर बानी रहिथे। येहा देंह के गरमी शांत करथे। येला कुष्ठ रोग मा बहुते उपयोग करे जाथे। पोईं भाजी हाड़ा, दाँत ला पोठ करथे अउ पेट ला स्वस्थ राखथे। देंह मा लहू के बढ़वार करथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆
26- तिनपनिया भाजी
तीन पाना के नार पानी मा छछले रथे जेला तिनपनिया भाजी कहिथें। येखर वनस्पति नाव ऑक्सालिस कोर्नीकुलाटा हे। ये भाजी बरसात ले जड़काला के मौसम तक गजबे मिलथे। अब माड़े पानी मा बारो महीना थोर-थार मिलत जाथे। येमा सादा अउ गुलाबी रंग के छोट-छोट फूल फूलथे। येखर कोंवर-कोंवर पाना के भाजी साग राँधथें।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो तिनपनिया भाजी, एक छटाक फींजे चना दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, दू-तीन पताल कटाय, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा एक गिलास पानी डारके ओमा फींजे चना दार ला बने डबकावव। डबकत कराही मा निमारे तिनपनिया भाजी ला डारके दू-चार मिनट चुरनदव। येखर बाद येमा कटाय पताल अउ नून डारके खोवव। अब भाजी ला ढाँक के पानी के अउँटत ले चुरोवव। भाजी सुक्खा हो जाय ता कराही ला आँच ले उतार लव।
चुरे भाजी ला खाली थारी मा उलद दव। येखर बाद जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ादव। दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कटाय गोंदली अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। गोंदली के लाल होते साठ चुरे भाजी ला डारदव। थोरिक चुरनदव। अब आपके भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- तिनपनिया भाजी मा आयरन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट अउ फाइबर भरपुरहा पाये जाथे। आक्जेलिक एसिड होय के कारण येखर स्वाद चिटिक अमसुरहा रहिथे। बिखहर कीरा-मकोरा के काटे जघा मा ये भाजी ला पिस के लगाय ले अराम मिलथे। तिनपनिया भाजी के प्रकृति जुड़हा रहिथे तखर सेती येहा हमर देंह खातिर जुड़वासा होथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆
26- मास्टर भाजी (एमरानथस)
मास्टर भाजी ला पहिली बेर देखबे ता पाला भाजी के भोरहा होथे। येखर पौधा हा कोनो फूल पान वाले पौधा जइसन दिखथे। ये पौधा के कोनो अंग बिरथा नइ जाय, सबो काम आथे। ये चुटपुट चुरइया भाजी अतेक कोंवर रहिथे के येला भोभलामन घलाव अराम से खा सकथें। येखर स्वाद कांदा भाजी जइसन चिटिक अमसुर लागथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो मास्टर भाजी, एक पाव आलू कटाय, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, दू-चार पताल कटाय, भुरका धनिया, हरदी, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि-  जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ाके दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कटाय गोंदली अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। गोंदली के लाल होते साठ कटाय आलू ला डारके दू-चार मिनट ढकना ढाँकके भूँजलव। जब आलू आधा चुरत आ जाय तब येमा मास्टर भाजी ला डारके अउ दू-चार मिनट चुरनदव। येखर बाद कटाय पताल ला डारके दू-तीन मिनट भूँजव। आखिर मा भुरका हरदी, धनिया अउ नून डारके थोरिक अउ चुरनदव। अब आपके पोंई भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

औखद गुण- मास्टर भाजी मा फाइबर अउ आयरन के मात्रा भरपुरहा रहिथे। फाइबर हा पाचनतंत्र ला पोठ करथे अउ आयरन हा देंह मा लहू के कमी नइ होवन दय। पेट ले जुड़े जम्मों बिमारी मा ये भाजी हा बड़ फायदा करथे। मास्टर भाजी हमर तन ला स्वस्थ राखे में मददगार होथे।
●●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●
27- कुरमा भाजी
अमली रूख के उलहा-उलहा पानामन ला टोर के कुरमा भाजी के रूप मा राँधे जाथे। येखर वनस्पति नाव तामरिन्डस इंडिका हे। गरमी बेरा छत्तीसगढ़ मा येला बड़ चहेट के खाथें। येखर स्वाद के आगू मा अमसुरहा कढ़ी घलोव फेल हो जाथे।


राँधे खातिर जिनिस- एक पाव कुरमा भाजी, एक छटाक फींजे चना दार, एक कटोरी दही, आठ-दस आमाखोइला, एक-दू गोंदली लाम-लाम कटाय, दू-चार पताल कटाय, भुरका धनिया, हरदी, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि-  एक कप पानी मा फींजे चना दार अउ कटाय गोंदली ला डारके दो-तीन मिनट चुरोलव। फेर येमा कुरमा भाजी ला ओइर के दू-तीन मिनट चुरनदव। अब येमाआमाखोइला ला डारदव। सबो ला बने समो के खो दव अउ ढकना का ढाँकदव। दू-चार मिनट बाद येमा कटाय पताल, भुरका हरदी, अउ नून डारके दू-तीन बने चुरोलव। अब येला पाँँच-सात मिनट ढाँकके चुरोलव।  ये चुरे भाजी ला अलग से बर्तन मा रितालव। अब जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ाके दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कटाय गोंदली अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव।  फेर येमा चुरे कुरमा भाजी ला डारके अउ दू-चार मिनट चुरनदव। अब आपके कुरमा भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- कुरमा भाजी हमर देंह खातिर जुड़वास जइसन होथे। येमा विटामिन 'सी', प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट जइसन तत्व के भरमार रहिथे। 
येखर खाये ले देंह बने शांत रहिथे। येखर भाजी हा पेट के कृमि अउ पीलिया रोग ले छुटकारा देथे। कुरमा के उलहा पानामन घाव-गोंदर मा बड़ फायदा करथे। 
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆◆●◆●
28- मुस्केनी भाजी
मुस्केनी भाजी पनिहा भुँइया अउ धनहा, परिया, भाँटा मा अपने अपन उपजथे। येखर वनस्पति नाव सेन्टेला एशियाटिका हे। वइसे तो येहा बछर भर हरियर-हरियर रथे फेर बरसाती मौसम मा ये भाजी हा बहुते देखे मा मिलथे। येहा नार वाला पौधा होथे जेखर पाना हा मेचका जइसन अकार दिखथे। येखर कोंवर-कोंवर पाना अउ डेंटरा के भाजी साग राँधे जाथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो मुस्केनी भाजी, एक छटाक फींजे चना दार, चार-पाँच पताल कटाय, एक-दू गोंदली कटाय,एक चुटकी भुरका हरदी, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा एक कप पानी डारके ओमा फींजे चना दार अउ भाजी ला डारके डुवा मा बने खोके ढँकना ला ढाँक दव। जब भाजी बने उसना जाय ता कराही ला आँच ले उतार लव। ये भाजी ला खाली थारी मा उलद दव। येखर बाद जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ादव। दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कटाय गोंदली अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। फेर येमा कटाय पताल अउ नून डारके बने भूँजलव। पताल गले के बाद येमा थारी मा राखे भाजी ला डारदव। दू-चार मिनट बाद आपके भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- मुस्केनी भाजी हा किडनी संबंधी बिमारी मा बड़ फायदा करथे। येहा स्वाद अउ सेहत मा बहुते बढ़िया भाजी होथे। येमा कैल्शियम के भरमार रहिथे जौन हा हाड़ा संबंधी बिमारी मा काम आथे। ये भाजी के रस ला कान मा डारे ले कानपीरा दुरिहाथे। पेट के कृमि अउ पिसाब के रोग-राई मुस्केनी भाजी ले उपयोग ले बने हो जाथे।
●◆●◆◆■◆■◆■◆●◆●◆●◆●◆●
29- गोभी भाजी
गोभी भाजी बड़ प्रसिद्ध फूलगोभी के पाना ला कहिथें। येखर वनस्पति नाव ब्रेसिका ओलेरेसिया हे। जड़काला मा मिलइया जम्मों भाजीमन ले गुण अउ स्वाद मा सबले अव्वल होथे। येहा चना दार के संग मा बहुते मिठाथे। येखर पाना अउ डेंटरामन के भाजी साग राँधे जाथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो गोभी भाजी (बने धोये, पउले), एक छटाक फींजे चना दार, दू-चार हरियर मिरचा कटाय, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कूकर मा एक गिलास पानी संग निमारे, धोय, पउलाय गोभी भाजी, फींजे चना दार,  कटाय मिरचा, पताल ला डारके दू-चार सीटी बाजत तक चुरोलव। कूकर जुड़ाय के बाद बिन ढँकना के भाजी ला पानी अउँटत ले फेर चुरोलव। पानी अउँटे भाजी ला थारी मा रितालव। अब कराही मा तेल कड़का के कुचराय लसुन फोरी, खड़ा लाल मिरचा के फोरन देदव। येमा भाजी ला ओइर के दू-तीन मिनट चुरनदव। अब तियार गोभी भाजी साग ला तातेतात रोटी, भात, चीला अउ बासी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- गोभी भाजी मा प्रोटीन,  कैल्शियम अउ आयरन भरपुरहा रहिथे जौन हा हमर हाड़ा ले जुड़े बिमारीमन मा फायदा करथे। लहू के कमी ला पुरोथे। येमा एंटीऑक्सीडेंट घलाव समाय रहिथे जेखर ले चाम ले जुड़े तकलीफ मा अराम मिलथे। कैंसर जइसे बड़का बिमारी मा गोभी भाजी हमर रक्षा करथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆◆◆●◆●◆
30- सुनसुनिया भाजी
सुनसुनिया भाजी दिखे मा तिनपनिया भाजी जइसन दिखथे फेर येमा चार-घार पाना पाये जाथे। येखर वनस्पति नाव मार्सिलिया माइनूटा हे। जिहाँ-जिहाँ पानी के माड़ा रहिथे उहाँ-उहाँ ये भाजी के नार छछले रथे। येहा तरिया के तीर अउ खेत मेड़ पार मा अपने अपन उपजइया भाजी हरय। येला राँधे मा जादा पिचकाट नइ रहय अउ चटपट चुर जाथे। येखर स्वाद चिटिक गुरतुर रहिथे अउ येला टोर के तुरते राँधे जाथे। अबेर होय मा येहा पींयर होके गले ला धर लेथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो तसुनसनिया भाजी, एक छटाक फींजे चना दार, दू-तीन पताल कटाय, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा एक गिलास पानी डारके ओमा फींजे चना दार ला बने डबकावव। डबकत कराही मा निमारे सुनसुनिया भाजी ला डारके दू-चार मिनट चुरनदव। येखर बाद येमा कटाय पताल अउ नून डारके खोवव। अब भाजी ला ढाँक के पानी के अउँटत ले चुरोवव। भाजी सुक्खा हो जाय ता कराही ला आँच ले उतार लव। चुरे भाजी ला खाली थारी मा उलद दव। येखर बाद जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ादव। दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कुचराय लसुन अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। फोरन के लाल होते साठ चुरे भाजी ला डारदव। दू-चार मिनट चुरनदव। अब आपके भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- सुनसुनिया भाजी हमर देंह खातिर जुड़वास जइसे होथे। देंह मा गरमी बाढ़ले ले जौन रोग-राई होथे ओखर ले ये भाजी हा छुटकारा देथे। मुँहुँ मा छाला होय ले ये भाजी ला खाना चाही, बड़ फायदा करथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆◆◆●◆●
31- सिंगारी भाजी
सिंगारी भाजी जंगली जड़ी-बूटी के रूप मा जादा जाने जाथे। येखर वनस्पति नाव सिसस कुआड्रानगुलेरिस हे। गाँव-गँवई मा येला हड़जोड़ के नाव ले पहचानथें। येहा बड़ असानी ले मिलने वाला अपने अपन उपजइया नार-बियाँर हरय। तेखर कोंवर-कोंवर पाना अउ डेंटरामन के भाजी साग राँधे जाथे। येखर बरी घलाव बनाय जाथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो गोल भाजी, एक छटाक फींजे चना दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, दू-तीन पताल कटाय, एक चुटकी भुरका हरदी, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली भाजी ला सफ्फा निमार अउ धो के राखलव। ओखर बाद कराही मा दू डुवा तेल ला कड़का के लसुन अउ मिरचा के फोरन देदव। जब मिरचा अउ लसुन ललिया जाय तब कटाय गोंदली ला डारके एक-दू मिनट ढाँकदव। फेर सफ्फा निमराय भाजी ला येमा ओइरदव। कराही के ढँकना ला ढाँक दव। दू-चार मिनट बने चुरनदव। अब आधा चुरे भाजी मा कटाय पताल, भुरका हरदी अउ अपन सेवाद के नेत मा नून डारदव। बीच-बीच मा करछुल ले खोवत रहव। जब भाजी के जम्मों पानी अउँट जाय तब येला आँच ले उतारलव। अब तुँहर गुमी भाजी चुर-पक के तियार हे, भात, बासी अउ रोटी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- सिंगारी भाजी मा फाइबर, प्रोटीन, लिपिड, कार्बोहाइड्रेट भरपुरहा पाये जाथे। वइसे तो येहा टूटे हाड़ा ला जोड़े के काम जादा आथे फेर येला दूसर बिमारीमन ले छुटकारा पाये खातिर उपयोग करथें। तन मा कोलेस्ट्रॉल के बढ़वार ला रोकथे अउ डायबिटीज ला कंट्रोल करथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆◆◆◆●◆●◆

32- पथर्री भाजी
पथर्री भाजी ला खपरा, पुनर्नवा अउ गदहपूरना के नाव ले घलाव जानथें। येखर वनस्पति नाव बोरहाबिया डिफ्यूजा) है। येहा भाजी हा कोनो भी परती परे भुँइया मा अपने अपन उपजइया पौधा हरय। येखर पौधा हा  गरमी मा सूखा के अधमरा हो जाथे अउ बरसात मा हरियर-हरियर हो जाथे तेखर सेती येला पुनर्नवा कहे जाथे। येखर कोंवर-कोंवर पानामन के भाजी साग राँधथें।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो पथर्री भाजी, एक छटाक फींजे चना दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, दू-तीन पताल कटाय, एक चुटकी भुरका हरदी, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली भाजी ला सफ्फा निमार अउ धो के राखलव। ओखर बाद कराही मा दू डुवा तेल ला कड़का के लसुन अउ मिरचा के फोरन देदव। जब मिरचा अउ लसुन ललिया जाय तब कटाय गोंदली ला डारके एक-दू मिनट ढाँकदव। फेर सफ्फा निमराय भाजी ला येमा ओइरदव। कराही के ढँकना ला ढाँक दव। दू-चार मिनट बने चुरनदव। अब आधा चुरे भाजी मा कटाय पताल, भुरका हरदी अउ अपन सेवाद के नेत मा नून डारदव। बीच-बीच मा करछुल ले खोवत रहव। जब भाजी के जम्मों पानी अउँट जाय तब येला आँच ले उतारलव। अब तुँहर पथर्री भाजी चुर-पक के तियार हे, भात, बासी अउ रोटी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- पथर्री भाजी हा हमर देंह के तकलीफ ला टारके फेर नवा कर देते, येखर सेती येला पुनर्नवा कहिथें। ये भाजी  हा लहू के बढ़वार,  कफनाशक,  अउ स्वास्थ्य ला बढ़ाथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆◆◆●●
33- पुतका भाजी
पुतका भाजी ला बंधा भाजी अउ पत्ता गोभी के नाव ले जानथें। येखर वनस्पति नाव ब्रेसिका ओलेरेसिया हे। पुतका भाजी के जादा उपयोग सलाद अउ कच्चा खाये मा होथे। येहा सबो मौसम मा बड़ असानी ले मिल जाथे।
.
राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो पुतका भाजी, एक छटाक फींजे चना दार, चार-पाँच गोंदली लाम-लाम कटाय, दू-तीन पताल कटाय, एक चुटकी भुरका हरदी, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली भाजी ला सफ्फा निमार अउ धो के राखलव। ओखर बाद कराही मा दू डुवा तेल ला कड़का के लसुन अउ मिरचा के फोरन देदव। जब मिरचा अउ लसुन ललिया जाय तब कटाय गोंदली ला डारके एक-दू मिनट ढाँकदव। फेर सफ्फा निमराय भाजी ला येमा ओइरदव। कराही के ढँकना ला ढाँक दव। दू-चार मिनट बने चुरनदव। अब आधा चुरे भाजी मा कटाय पताल, भुरका हरदी अउ अपन सेवाद के नेत मा नून डारदव। बीच-बीच मा करछुल ले खोवत रहव। जब भाजी के जम्मों पानी अउँट जाय तब येला आँच ले उतारलव। अब तुँहर पथर्री भाजी चुर-पक के तियार हे, भात, बासी अउ रोटी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- पुतका भाजी माक्षपोषक तत्व के भरमार रहिथे। येमा एंटीऑक्सीडेंट अउ एंटी इंफ्लेमेटरी के गुण समाय रहिथे जौन हा हमर तन के नँगत अकन रोग-राई ला दुरिहाथे। येमा आयरन, पोटैशियम अउ दूसर विटामिन भरपुरहा मिलथे। येहा स्वाद अउ सेहत मा बड़ सुग्घर होथे। पुतका भाजी आँखी के रोशनी अउ इम्यूनिटी बढ़ाथे, वजन कम करथे।
●◆●◆●◆◆◆◆◆◆◆●◆●◆●◆◆
34- मेथी भाजी
मेथी भाजी के जादा ले जादा उपयोग फोरन के रूप मा करे जाथे, फेर येखर गजब स्वाद वाला भाजी साग घलाव राँधथें। येखर वनस्पति नाव ट्राइगोनेला फोनन-ग्रेकम हे। किसनहा भाईमन येखर खेती करथें। जड़काला मा ये भाजी के आवक नँगते रहिथे। येखर ले साग तो बनबेच करथे, पराठा घलाव बनाय जाथे। मेथी दू प्रकार कू होथे, सामान्य मेथी अउ कस्तूरी मेथी।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो मेथी भाजी, एक पाव आलू नान-नान कटाय, चार-पाँच पताल कटाय, एक चुटकी भुरका हरदी, भुरका धनिया अउ हरियर धनिया, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- मेथी भाजी बने निमार के छोट-छोट कुटका करलव। ओखर बाद कराही मा दू डुवा तेल ला कड़का के लसुन अउ मिरचा के फोरन देदव। जब मिरचा अउ लसुन ललिया जाय तब येमा कटाय आलू ला डारके बने भूँजलव। जब आलू अधकुचरा चुर जाय तब ओमा कटाय मेथी भाजी ला डारके दू-तीन मिनट कराही के ढँकना ला ढाँक दव। अब आधा चुरे भाजी मा कटाय पताल, भुरका हरदी, भुरका धनिया अउ अपन सेवाद के नेत मा नून डारदव। दू-तीन मिनट ले चुरदव अउ बीच-बीच मा करछुल ले खोवत रहव। जब भाजी के जम्मों पानी अउँट जाय तब येला आँच ले उतारलव। अब तुँहर मेथी भाजी चुर-पक के तियार हे, भात, बासी अउ रोटी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- मेथी भाजी मा प्रोटीन, फॉस्फोरस, कैल्शियम, आयरन, विटामिन 'सी' भरपुरहा रहिथे जौन हा तन ला स्वस्थ राखथे। ये भाजी हा देंह के वजन घटाय मा मदद करथे। कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, ब्लडप्रेशर अउ अपच के समस्या ले येहा छुटकारा देथे। जड़काला मा मेथी भाजी हा हमन ला जुड़ ले बचाथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆
35- सरसों भाजी
जड़काला मा देंह खातिर सबले पुस्टई सरसों भाजी हा होथे। येखर वनस्पति नाव ब्रेसिका जुंसिका हे। ये भाजी के स्वाद चिटिक चुरपुर असन रहिथे फेर मिठास गजबेच के रहिथे। वइसे तो येहा जड़काला के दलहनी फसल होथे फेर येखर उलहा पानामन के भाजी साग राँधथें। सरसों भाजी अउ बीजा तेलहा होथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो सरसों भाजी, दू-तीन पताल कटाय, एक चुटकी भुरका हरदी, भुरका धनिया अउ नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा एक गिलास पानी डारके ओमा निमारे सरसों भाजी ला डारके दू-चार मिनट डबकनदव। अब कराही के भाजी ला निथार के अलग बर्तन मा उलददव। येखर बाद जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ादव। दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कुचराय लसुन अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। फोरन के लाल होते साठ सरसों भाजी ला ओइरदव। चार-पाँच मिनट ढकना ढाँक के चुरनदव। येखर बाद येमा कटाय पताल, भुरका हरदी, भुरका धनिया अउ नून ला डारदव। अब भाजी के पानी अँटत ले चुरनदव। जब भाजी चपचपहा दिखय ता उतारलव। अब आपकेसरसों भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- सरसों भाजी स्वाद के संगेसंग सेहत मा घलाव सबसे अगुवा हे। येमा प्रोटीन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम अउ आयरन के भरमार रहिथे।  ये भाजी मा एंटीऑक्सीडेंट भरपुरहा रहिथे जौन हा हमर देंह के रोगप्रतिरोधक क्षमता ता बढ़ाथे। हमर गर्भवती मातामन खातिर सरसों भाजी वरदान जइसन होथे। सरसों भाजी हा लहू के कमी ला पूरा करथे अउ हाथ-पाँव के सूजन ला कम करथे।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆
36- पाला भाजी
छत्तीसगढ़ मा प्रसिद्ध पालक भाजी ला पाला भाजी कहिथें। येखर वनस्पति नाव स्पिनेशिआ ओलरएसिइ हे। जड़काला मा पाला भाजी बजारभर दिखथे। पाला भाजी ला लोगनमन दार अउ पाला खाय मा जादा उपयोग करथें फेर येखर बहुते स्वादिष्ट भाजी साग घलाव राँधे जाथे। पाला पनीर, पाला आलू, पाला मटर या अउ दूसर साग मा समोय ले येखर स्वाद कई गुणा बढ़ जाथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो पाला भाजी, एक पाव आलू नान-नान कटाय, चार-पाँच पताल कटाय, एक चुटकी भुरका हरदी, भुरका धनिया अउ हरियर धनिया, नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- पाला भाजी बने निमार के छोट-छोट कुटका करलव। ओखर बाद कराही मा दू डुवा तेल ला कड़का के लसुन अउ मिरचा के फोरन देदव। जब मिरचा अउ लसुन ललिया जाय तब येमा कटाय आलू ला डारके बने भूँजलव। जब आलू अधकुचरा चुर जाय तब ओमा कटाय मेथी भाजी ला डारके दू-तीन मिनट कराही के ढँकना ला ढाँक दव। अब आधा चुरे भाजी मा कटाय पताल, भुरका हरदी, भुरका धनिया अउ अपन सेवाद के नेत मा नून डारदव। दू-तीन मिनट ले चुरदव अउ बीच-बीच मा करछुल ले खोवत रहव। जब भाजी के जम्मों पानी अउँट जाय तब येला आँच ले उतारलव। अब तुँहर मेथी भाजी चुर-पक के तियार हे, भात, बासी अउ रोटी संग खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- पाला भाजी पोसक तत्वमन के खजाना हरय। येमा विटामिन 'ए' सबले जादा पाये जाथे। येखर भाजी मा प्रोटीन, पोटैशियम, सोडियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस भरपुरहा पाये जाथे। पाला भाजी हमर सरी देंह ला पोठ करथे। येला बिना सोचे-समझे तुरते घर लावव अउ राँध के खावव।
●◆●◆●◆●◆●◆●◆●◆◆◆●◆●◆
चाँटी भाजी
बस्तर अँचल के सबले सुग्घर भाजी मा एक भाजी हे चाँटी भाजी जौन हा धनहा मा अपने अपन उपजथे। येखर वनस्पति नाव पॉलीगोनम प्लीबियम हे। चाँटी भाजी के खेती नइ होय, येहा धान लुवई के बाद खेत मा ओल पा के दुबी जइसन छछल जाथे। डेंटरा के गठानमन मा दुनों कोती पानामन ओरीओर लगे रहिथे जइसे चाँटी मा ओरीओर रेंगत रहिथें। येखरे सेती येला चाँटी भाजी कहे जाथे।

राँधे खातिर जिनिस- आधा किलो चाँटी भाजी, एक छटाक फींजे मसूर/मूँग/उरिद दार, दू-तीन पताल कटाय, एक चुटकी भुरका हरदी, भुरका धनिया अउ नून अपन सेवाद के नेत मा।

बघारे खातिर जिनिस- छै-सात सुक्खा लाल मिर्चा कुटका मा, छै-सात कुचराय लसुन फोरी, दू नान्हें डुवा खाय के तेल।

राँधे के बिधि- सबले पहिली कराही मा एक गिलास पानी डारके ओमा निमारे चाँटी भाजी अउ फींजे दार ला डारके चार-पाँच मिनट डबकनदव। अब कराही के भाजी ला निथार के अलग बर्तन मा उलददव। येखर बाद जुच्छा कराही ला आँच मा मड़ादव। दू डुवा फरी तेल डारके कड़कालव। कड़कत तेल मा कुचराय लसुन अउ खड़ी मिर्चा के फोरन डारदव। फोरन के लाल होते साठ चाँटी भाजी ला ओइरदव। चार-पाँच मिनट ढकना ढाँक के चुरनदव। येखर बाद येमा कटाय पताल, भुरका हरदी, भुरका धनिया अउ नून ला डारदव। अब भाजी के पानी अँटत ले चुरनदव। जब भाजी चपचपहा दिखय ता उतारलव। अब आपके चाँटी भाजी चुर-पक के तियार हे, खावव अउ खवावव।

ओखद गुण- चाँटी भाजी मा प्रोटीन अउ विटामिनमन के भरमार रहिथे। येखर ले हमर देंह के इम्यूनिटी सिस्टम पोठ होथे। पाचन शक्ति मजबूत होथे जेखर ले अपच अउ कब्ज के शिकायत दुरिहाथे। ये भाजी के खाये ले जुड़-सरदी, जर-बोखर अउ खाँसी-खोखी जइसन छुटपुट समस्या झटकुन हर जाथे।
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
अंतस के गोठ
छत्तीसगढ़ ला भाजीगढ़ कहिन ता कोनो अचरज वाले बात नो हे, काबर के इहाँ  सैंकड़ा ले जादा भाजी के किसम पाये जाथे। येमा के आधा ले जादा भाजीमन फोकट मा भाँठा, परिया, खेत-खार, मेड़ पार, बन-जंगल, तरिया, डबरी तीर सोज्झे मिलथें। छत्तीसगढ़ मा कतको भाजी घर, अँगना, बारी-बखरी अउ गमलामन मा उपजथें जेला जब चाही टोर, निमार के चटपट राँधे, खाये जा सकथे। कतको भाजी के किसनहा भाईमन बड़ चेतलग खेती करथें के अपन उपजाय भाजी ला दूसर प्रदेश मा भेजथें। छत्तीसढ़िया भाई-बहिनीमन भाजी के महत्तम ला जानथे तेखरे सेती अपन खानपान मा खच्चित जोरे राखथें। ये भाजीगढ़ मा भाजी के कोनो कमी नइ हे फेर इहाँ के रहइयामन सबले जादा छत्तीस भाजीमन ला बउरथें।अलग-अलग मौसम मा अलग-अलग भाजीमन के आवक होथे। कतको भाजीमन बारो महीना मिल जाथें। कतको भाजीमन बिन खोजे मिल जाथे ता कतको भाजीमन खोजे मा बड़ मुश्किल ले मिलथें। कोनो-कोनो भाजीमन ला तुरते-ताही राँधे मा स्वाद आथे ता कोनो भाजीमन ला सुकसा करके खाबे ता सुहाथे। दिखे मा तो कतको भाजीमन कांदी-कचरा कस दिखथें फेर येखर के स्वाद अउ गुण हा ओला रंधनी खोली ता ले जाथे। कोनो-कोनो भाजी अपन विशेष ओखद गुण के कारण पहचाने अउ खाये जाथे। कतको भाजी के सिरिफ पानामन हा खाये के काम आथे ता कतको भाजीमन के पाना, डारा, फूल, फर अउ जरी घलाव काम मा आथे। कोनो भाजी के तासिर जुड़हा ता कतको भाजी के गुण गरमिहा रहिथे। कोनो भाजी ला चिटिक अकन खाये मा फायदा करथे ता कतको भाजी ला जादा खाबे ता तबीयत बिगाड़ देथे। भाजी के साग भर राँथे जाथे अइसन नइ हे, कतको भाजी के सलाद, चटनी, रायता अउ भजिया बना के खाय जाथे। कतको भाजीमन ला निमगा भाजी भर ता कतको भाजीमन ला चना, तिंवरा, मसूर अउ आलू संग सँघेर के राँधे जाथे। कोनो अमसुरहा ता कोनो भाजी मसलहा मिठाथे। मही, दही, अमली, आमाखोइला अउ बोंइर के मिंझरा भाजी के स्वाद ला नँगते बढ़ा देथे।
छत्तीसगढ़ मा भाजी साग घरो-घर बड़ चहेट के खाये जाथे। इहाँ भाजी साग ला बर-बिहाव, छट्ठी-छेवारी अउ मरनी-हरनी मा घलाव माँदी, पंगत मा परोसे जाथे। छत्तीसढ़ियामन के थारी मा लसुन अउ मिरचा के फोरन लगे भाजी साग खच्चित देखे ला मिलथे। ये भाजीमन गंज अकन पोषक तत्वमन के भरमार रहिथे। इहाँ के भाजीमन मा आयरन, प्रोटीन, विटामिन्स, फॉस्फोरस, फाइबर, पोटैशियम, कैल्शियम, सल्फर, सोडियम जइसन खनिजमन भरपुरहा पाये जाथे। जौन हा हमन ला सुग्घर स्वाद के संगेसंग बढ़िया सेहत घलाव देथे। भाजी खाये ले आँखी, पेट, लहू, हाड़ा, जोड़, चाम, चुंदी अउ सबो अंग के समस्या ला दुरिहाथे। बरोबर अउ सरलग भाजी खाये ले इम्यूनिटी पॉवर अउ एंटीबायोटिक पॉवर बाढ़थे। ब्लडप्रेशर अउ डायबिटीज मा भाजीमन हा फायदा करथें। कुल मिलाके कहे जाय ता इही हे के भाजी हमर खानपान मा समाय रहय। येखर ले हमन ला कोनो फायदा नइ होही ता घाटा घलाव नइ हे।
ये किताब के पढ़इयामन सादर गिलौली हे के भाजीमन के उपयोग अपन मति अउ डॉक्टर, बइद के सलाह मान के करँय। येहा मोर पोगरी विचार हरय, सलाह नो हे जौन आप अँखमुंदा मानहू। ये किताब के अनुसार कोनो भी भाजी के उपयोग होवइया नुकसान के मैं जवाबदार नइ हँव। आखिर मा एक बेर फेर आप जम्मों किताब पढ़इयामन ले सादर विनती हे के ये किताब के कमीबेशी ला खच्चित बताहू ताकि मैं येमा सुधार कर सकँव। आपमन के दुलार अउ आशीर्वाद के अगोरा मा...
कन्हैया साहू 'अमित'
शिक्षक- भाटापारा छत्तीसगढ़
गोठबात- 9200252055
दिन-बादर.. पोरा तिहार 2024

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें