अचल छंद (5,6,7 वर्ण) 8-8-11 मात्रा
मया-दया ला, धरौ जतन के, छोड़ सबो जंजाल।
रहौ इहाँ गा, बने लगन ले, झंझट देहौ टाल।।
परेम पाहू, बिरानमन ले, पोठ मया भंडार।
पिरीत पा ले, परान बन के, जी अपने संसार।।
सुधार ले तैं, सँवार ले तैं, दोष सबे ला मेंट।
दुलार देके, दुलार लेले, सोज बने तैं भेंट।।
जुराव होही, हियाव होही, नीक बनौ इंसान।
मया-दया हा, सहींच मा हे, मानुस के संज्ञान।।
कन्हैया साहू 'अमित'~सृजन 29/08/2020
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