*रोटी पीठा (चौपाई छंद)*
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आय अतिथि घर मा हमर, पहुना नाँव धराय।
किसिम कलेवा खा बना, सुग्घर सगा सुहाय।।
गुरतुर गुरहा गुलगुल गुजिया,
दूधफरा रसगुल्ला करिया।
मीठ कलेवा खुरमी खाजा,
राँध खवा तैं तुरते ताजा।~1
खीर सेवई कुसली पकुआ,
तिखुर रोंट रसकतरा हलुआ।
रोटी पीठा मिठ मनभावन,
होथे पहुना हा बड़ पावन।~2
पाके पपई पपची पिड़िया,
पाग पापड़ी रखिया बिरिया।
कूटे पीसे चाँउर बेसन,
काबर पिज्जा बरगर फेशन।~3
पाग धरे गुड़ चाँउर अरसा,
मया प्रीत के बरसे बरसा।
मोवन मैदा कटुवा खुरमी,
खावँय नँगते तेली कुरमी।~4
सदा सगा सोदर तुम आहू,
पहुना भगवन तुमन कहाहू।
सेवा सिधवा करबो बढ़िया,
खा पी पोठ मोटरा गठिया।~5
राँध खवा के मिठहा गुरहा,
खावव थोकुन जीनिस नुनहा।
घी अंगाकर रोटी राजा,
चहा बुड़ो के मनभर खाजा।~6
ठेठ ठेठरी करी फरा जी,
सोंहारी के संग बरा जी।
मही महेरी मुरकू मुठिया,
बने बफौरी बिक्कट बढ़िया।~7
चाँउर चीला चक चौसेला,
मजा मया मा माँदी मेला।
चिवँरा पापड़ सेव सलोनी,
खावव हाँसव बबुआ नोनी।~8
तिली जोंधरा फल्ली लाड़ू,
मुर्रा लाड़ू खाय भकाड़ू।
आय सगा के करबो सेवा,
पाछू मिलही हमला मेवा।~9
बटकी बटकर बोरे बासी,
खाजा खोवा बारा मासी।
पहुना सेवा जाय उदासी,
अतिथि चरन हे मथुरा कासी।~10
नून गोंदली चिखना चटनी,
जइसे कथनी वइसे करनी।
आमा अमली मिरचा धनिया,
खावँय रजमत रजवा रनिया।~11
छत्तीसगढ़ी खाव कलेवा,
भाजी भाँटा सिरतो मेवा।
जिनगी जीथन बनके सिधवा,
बैरी ला देथन उँच पिढ़वा।~12
देव मान पहुना अमित, कर सेवा सतकार।
सबले बढ़के भावना, पानी पसिया सार।।
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कन्हैया साहू "अमित"
शिक्षक~भाटापारा छत्तीसगढ़
संपर्क~9200252055 ©®
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