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बुधवार, 25 नवंबर 2020

बाल कविता~मिट़ठू

मिट्ठू

चोंच लाल अउ हरियर पाँखी।
जुगुर-जुगुर बस दिखथे आँखी।।

चुरपुर  मिरचा  बहुते खाथे।
चटर-चटर चटरू बन जाथे।।

उँच  अगास  ये फुर्र उड़ाये।
अपन  अजादी येला भाये।।

खावय आमा जाम जोंधरा।
पीपर  खोर्ड़ा  टीप खोंधरा।।

लालच मा दाना चुग जाथे।
तभे  पिंजरा  बीच धँधाथे।।

रचना~कन्हैया साहू 'अमित'
सृजन दिनाँक~26/11/2020

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