यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

बाल कविता ~ चिटरा

चिटरा

चिटरा अड़बड़ चतुरा चमकुल ।
हाथ आय मा  नँगते  मुसकुल।।

सरर-सरर  चढ़थे  रुखराई।
रंग-रूप   सुग्घर  सुखदाई।।

फर  बीज  साग   भाजी  खाथे।
कड़क जिनिस ला मनभर भाथे।।

फुदुक-फुदुक फुदरे अँगना मा।
राम  कृपा  हे  एखर  सँग  मा।।

पीठ  परे  हे  करिया  धारी।
महिनत चिटरा के चिन्हारी।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा-9200252055

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

चंद्रयान अभिमान

चंद्रयान  ले  नवा  बिहान,  हमर तिरंगा, बाढ़य शान। रोवर चलही दिन अउ रात, बने-बने बनही  हर  बात, दुनिया होगे अचरिज आज, भारत मुँड़़ अब सजगे ताज, ...