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सोमवार, 8 मार्च 2021

छत्तीसगढ़ के छत्तीस गौरव ~ 01

भक्तिन शबरी माता
                 रामभक्त के रुप मा अपन अलग पहिचान बनइया भक्तिन माता शबरी के ये कथा हमर छत्तीसगढ़ मा प्रचलित हे। वर्तमान जाँजगीर जिला के शिवरीनारायण नगर के रुप मा जग प्रसिद्ध हे जिहाँ महानदी, शिवनाथ अउ जोंक नदी के त्रिवेणी संगम हे। ये जघा हा छत्तीसगढ़ के जगन्नाथ के रुप मा घलो जाने जाथे। येला मतंग ऋषि के गुरुकुल आश्रम अउ शबरी के साधना स्थल माने गे हे। शबरी ला अपन तपस्या के फल मोक्ष रुप मा इहें मिले रहिस। भगवान राम हा इही जघा शबरी के जूठा बोंइर ला खाये रहिस अउ अपन भक्तिन ला तारे रहिस। एखरे सेती ये जघा के नाँव माता शबरी के नाँव उपर शबरीनारायण होगिस। धीरे-धीरे शबरीनारायण के नाँव बिगड़ के शिवरीनारायण होगे। इहाँ शबरी माता के नाँव ले ईंटा ले बने पुरातन मंदिर घलाव हावय।
           माता शबरी के नाँव शबरी नइ रहिस हे। येहा भील जनजाति के राजा के बेटी श्रमणा रहिन। बिहाव के उमर देखके इँखर ददा हा अपन जात के राजकुमार संग श्रमणा के बिहाव तय कर दीन। बिहाव मा बलि दे खातिर छेरी, भेड़ीमन के भीड़ ला देखके राजकुमारी श्रमणा के मन बिचकगे। बिहाव के एकदिन पहिली जम्मों जानवर ला बाहिर खेद के राजकुमारी हा घर ले भगागे। इँखर मन मा वैराग्य उत्पन्न होगे अउ घर नइ लहुटिन। घनघोर जंगल मा भटकत-भटकत आसरा खोजँय अउ शिक्षा-दीक्षा खातिर विनती करँय फेर कोनो तैयार नइ होवँय भील जात के हे जान के। आखिर मा वोला एकठन आश्रम मिलिस जेमा ऋषि मतंग हा अपन चेलामन संग जप-तप करँय। इहें वोला आश्रय मिलिस अउ ऋषि मुनिमन के सेवा-सत्कार मा लग गिस। शबरी के सेवा अउ भक्ति भाव ले ऋषि मतंग बड़ खुश होइस अउ वोला आशीर्वाद दिस के एक दिन ये जघा मा भगवान राम आही अउ तोला मोक्ष देही। एखर बाद मतंग ऋषि स्वर्ग सिधार गिन।
           शबरी के अंतस गंगाजल कस पवित्र अउ ओखर भक्ति पहाड़ कस अडिग। शबरी भगवान राम के अगोरा मा जवान ले बुढ़िया होगिन। शबरी माता कठिन तपस्या के बल मा अपन इंद्रीमन ला अपन वश मा कर लिन। रातदिन भगवान के ध्यान लगावत अपन भक्ति ला पोठ कर डरिन। इँखर भक्ति के पार बड़े-बड़े साधु-संत, महात्मा, ध्यानी-ग्यानीमन नइ पा सकिन। सबके हृदय मा शबरी बर सम्मान अउ आदर बाढ़ते गिस। एकदिन राम अउ लक्ष्मण जी माता सीता के खोज मा शबरी के कुटिया मा हबरगें। शबरी के आँखी अपन प्रभु ला देख के चौंधिया गे। धरारपटा भगवान के सेवा मा जुट गे। अपन आँसू के धार ले भगवान के पाँव ला धो धरिस। जंगल मा खाये खातिर कांदाकूसा भर ही मिलय इही पाय के शबरी हा अपन कुटिया तीर के बोंइर भगवान बर लानिस। मीठ-मीठ बोंइर खवाय खातिर शबरी हा पहिली चीखय फेर भगवान राम ला मीठ फर ला देवय। प्रभु राम घलाव शबरी के प्रेम अउ भक्ति ला देख के सुध गँवाके जूठा बोंइर खाय मा मगन होगिन। अइसन भक्तिन माता शबरी रहिन जौन भगवान ला अपन भक्ति मा बाँध लिन। शबरी के इही भक्ति अउ प्रेम हा आज वोला अमर बना दिस। शबरी ला अपन भक्ति के फल मोक्ष के रुप मा मिलिस।
                      शबरी के सुरता बिना भगवान के नवधा भक्ति हा अधूरा हे। धन्य हे हमर छत्तीसगढ़ जिहाँ अइसन भक्तिन दाई रहिन। सरकार हा शबरी के धाम शिवरीनारायण ला 'राम वन गमन मार्ग' के रुप मा चिन्हारी घलाव करे हे। छत्तीसगढ़ मा भगवान राम हा जिहाँ-जिहाँ वनवास के बेरा मा समय काटे रहिन ओखर चिन्हारी करके वोला जघा ला संजोये के वुता चलत हे।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा छत्तीसगढ़

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