रविवार, 25 अप्रैल 2021

जानव जनऊला~ (51-100)

51- रानी पानी बीच कहाय।
भुँइयाँ मा ये नइ जी पाय।।
रोजे येहा धोय नहाय।
तभो कभू नइ तो ममहाय।।
-मछरी

52- पखरा जइसन ऊपर खोल।
खाल्हे पींयर कोंवर सोल।।
चार पाँव मा रेंगय सोज।
पानी भाँठा येला खोज।।
-केछुवा

53- पानी बिन ये महल बनाय।
कारीगर ये सुघर कहाय।।
छै ठन रहिथे एखर पाँव।
सोच समझ के नाँव बताव।।
-मेकरा

54- लाली मुँहु के नोनी आय।
फीता हरियर गजब गँथाय।
जब हटरी मा बइठे जाय।
तुरते-ताही ये बेंचाय।।
-पताल

55- आगू-पाछू चलथे चाल।
रहिथे करिया भुरुवा लाल।।
रथे पाँच जोड़ी मा पाँव।
बिला भीतरी एखर ठाँव।।
-केकरा

56- मुँड़ी पुछी हे, नइ हे पाँव।
सर सर सरकय देखत जाव।।
दाँत पेट हे, नइ हे कान।।
गुजगुजहा एखर पहिचान।।
-साँप

57- गेंद नहीं पर हावय गोल।
लाम पुछी पर पशु झन बोल।।
धरय पुछी ला खेलँय खेल।
देवँय जम्मों गजब गदेल।।
-फुग्गा

58- भैरी हावँव, हावय कान।
हाथ पाँव हे, नइ हे प्रान।।
जौने मोला लय पोटार।
करय गजब के मया दुलार।।
-पुतरा-पुतरी

59- चकमिक-चकमिक हावय रंग।
रहिथँव लइकामन के संग।।
गोली नोहँव, हावँव गोल।
अड़बड़ सस्ता हावय मोल।।
-बाँटी

60- पाँव नहीं पर नाचय गोल।
आगू-पाछू लइका डोल।।
पातर बाती येला नेत।
खेलत खानी करले चेत।।
-भौंरा (लट्टू)

61- लानव लकड़ी देवव छोल।
आगू-पाछू चोक्खू गोल।।
जतके जादा खावय मार।
भागय दुरिहा पल्ला झार।।
-इब्भा (गिल्ली)

62- दू थँगिया हे एखर हाथ।
चमड़ा रब्बड़ देवय साथ।।
मारय गोली नेत लगाय।
चलव बतावव येहा काय।।
-गुलेल

63- लोहा टीना झट चटकाय।
रब्बड़ येला तुरत हराय।।
भुँसा बीच सूजी लय खोज।
रथे गोलवा, चाकर सोज।।
-चुंबक

64- बिना पाँव के चलथे घात।
बिहना संझा दिन अउ रात।।
टिकटिक रेंगय तीनों हाथ।
पोंछत राहय अपने माथ।।
-घड़ी

65- इक महतारी, लइका तीस।
सात रंग मा सबो गढ़ीस।।
एक बछर मा बारा बेर।
जम्मों परथें एखर फेर।।
-महीना

66- शुरू कटे ता बनथे गीत।
बीच कटे ता संत पुनीत।।
कटे आखिरी बनथे यार।
एक संग मा सुर रसदार।।
-संगीत

67- मोर नाँव मा आखर तीन।
उड़ियाथौ पर हरँव मशीन।
सीधा-उल्टा एक समान।
झटपट मोला तैं पहिचान।।
-जहाज

68- लाली डिबिया पिंयर पेट।
राखय लाखों दाँत समेट।।
फरय पेड़ मा, नइ हे नार।
बड़ गुणकारी, बड़ दमदार।।
-अनार

69- एक नानकुन मटकूदास।
कपड़ा पहिरै बीस पचास।।
लाली सादा एखर रंग।
सबला रोवाय करय तंग।।
-गोंदली

70- हावय अइसन एक फकीर।
जेखर पेट म परे लकीर।।
उपजय बाढ़य सबके खेत।
लगय भूख तब एखर चेत।।
-गहूँ

71- एक गुफा के दू रखवार।
होय दुनों के जय जयकार।।
करिया भुरुवा सादा रंग।
रहय सदा मुखड़ा के संग।।
-मेछा

72- पंख नहीं पर उड़ते जाय।
संग हवा के ये बतियाय।।
हाथ नहीं पर लड़ते जाय।
बिन चाकू के काट गिराय।।
-पतंग

73- एक अचंभा, गजब कमाल।
डारव हरियर, निकलय लाल।।
पक्का होवय जतके चाब।
सकय न कोनो येला दाब।।
-पान

74- काया मोर गोलवा गोल।
नारी जाँथें देखत डोल।।
काँच प्लास्टिक मोरे अंग।
रिंगी-चिंगी हावय रंग।।
-चूरी

75- बात बतावव मैं हा खास।
का घटना हे आसेपास।।
रोज बिहनिया सबके द्वार।
पढ़के बनथे सब हुशियार।।
-अखबार

76- बइठे-बइठे एक्के ठाँव।
पहुँचावव मैं सब ला गाँव।।
डामर करिया मोरे रंग।
चलना सब ला मोरे संग।।
-सड़क

77- जतके जादा आगू जाय।
वतके पाछू छुटते पाय।।
एक संग नइ रेंगे आय।
तभो सबो ला जा पहुँचाय।।
-कदम (पाँव)

78- कर्री आँखी देख डराय।
घर भर भारी उधम मचाय।।
कुतर-कुतर करथे हलकान।
चीं-चीं के ये गावय गान।।
-मुसुवा

79- दू झन सुग्घर लइका नेक।
रंग रूप मा हावय एक।।
रथे सँघरा बनथे काम।
तुरत बतावव एखर नाम।।
-पनही

80- तीन वर्ण के हावय नाम।
कटै शुरू तब जय श्री राम।।
बीच कटै ता फल के नाँव।
कटै आखिरी, काट मड़ाँव।।
-आराम

81- दू आखर के हावय नाम।
हरदम रहिथे सरद जुकाम।।
काजग हावय मोर रुमाल।
काम मोर हे गजब कमाल।।
--पेन

82- रोवाना हे एखर काम।
लाली बाई हावय नाम।।
हरियर पहिरे लुगरा लाम।
दू पइसा हे एखर दाम।।
-मिरचा

83- हरियर हँव, पाना झन जान।
करँव नकल, झन बंदर मान।।
मिरचा खाथँव मैं हा पोठ।
तपत कुर्रु के करथँव गोठ।।
-मिट्ठू

84- हरियर घेरा पिंयर मकान।
रहँय इहाँ करिया इंसान।।
रहै रंधनीघर मा धाक।।
फागुन मा ये जाथे पाक।।
-सरसों

85- पाँव नहीं पर जाथे पार।
पेट रिता तब बड़ रफ्तार।।
भागय सरपट पानी चीर।
बिन पतवार हाल गंभीर।।
-डोंगा

86- आगू-पाछू डोलय मोर।
करय कभू नइ काँही शोर।।
अँधियारी मा कहाँ लुकाय।
देख अँजोरी तुरते आय।।
-अपन छँइहाँ

87- सबके घर रहिथँव बिन खाय।
कोन्हों नइ पानी पीयाय।।
करँय भरोसा सब संसार।
महीं हरँव घर के रखवार।।
-तारा (ताला)

88- कुकरा नो हे, मुँड मा मौर।
जंगल झाड़ी एखर ठौर।।
नाचय बरखा बादर देख।
सतरंगी हे, नाँव सरेख।।
-मँजूर

89- करिया हे पर नो हे काग।
लंबा हे पर नो हे नाग।।
अँइठन हे पर नो हे डोर।
झटपट संगी करलव शोर।।
-बेनी (चोटी)

90- खाथे येहा गोली गोल।
डरथे जम्मों सुनके बोल।।
दबथे घोड़ा भागय सोज।
ठाठ हाथ मा, गोली खोज।।
-बंदूक

91- कचर कचर सब येला खाँय।
काट मुँड़ी तब नून लगाँय।।
बारी बखरी छछलै नार।
भीतर बीजा के भरमार।।
-खीरा

92- खाय नहीं पर गजब चबाय।
काड़ी कोंवर नीक जनाय।।
दाँत जीभ चमचम चमकाय।
बीमारी ला मार भगाय।।
-दतुवन

93- एक सवारी चालक चार।
सुते जाय ये पाँव पसार।।
आगू-आगू एखर चाल।
पाछू मा जनता बेहाल।।
-मुरदा

94- करिया हँड़िया उज्जर भात।
खालव संगी ताते-तात।।
हवय भरे येमा जुड़वास।
तरिया भीतर करय निवास।।
-सिंघाड़ा

95- खाय न दाना पानी घास।
होय नहीं ये कभू उदास।।
ले जावय बइठा के पीठ।
करै कभू नइ येहा ढीठ।।
-साइकिल

96- हावय एखर रानी चार।
एक हवय राजा दमदार।।
पाँचों जुरमिल करथें काज।
सुग्घर सुमता साजँय साज।।
-अँगरी, अँगठा

97- एक फूल करिया मुस्काय।
मुँड मा सबके सुघर सुहाय।।
घाम परै ता खिल-खिल जाय।
छँइहाँ मा ये झट मुरझाय।।
-छतरी

98- अपन ददा के रहिथे संग।
आगर बेटा के हे रंग।।
उँचहा हावय इँखर मकान।
बीच खोतली बसथे प्रान।।
-नरियर

99- नान्हें लइका बाँधय पार।
कूदत-फाँदत कई हजार।।
करनी एखर लाज बचाय।
बोलव संगी काय कहाय।।
-सुजी सूँत

100- ये लइका दू कौंरा खाय।
चपक बोंड़री डहर बताय।।
करय नहीं ये काँही शोर।
अँधियारी मा होय अँजोर।।
-टॉर्च
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा छत्तीसगढ
9200252055 ~ सृजन - 26/04/2021

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