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रविवार, 9 मई 2021

दुलरवा दोहा ~ सेहत के दोहा-01

सेहत के दोहा-1
जेवन जइसे जे करय, ओखर पेट बताय।
पानी पीयव छान के, तन के रोग घटाय।।

चरबी गलथे देंह के, पानी पीयव तात।
रोटी मा हे गुण बड़े, खावव कमती भात।।

सुत उठ पानी कुनकुना, दू गिलास पी नाप।
पइसा कौड़ी नइ लगय, हरय दवा के बाप।।

बड़े बिहनिया ले उठव, करलव थोरिक योग।
पुरवाही फुरहुर मिलय, भागय जम्मों रोग।।

झन नहाव गरमेगरम, होथे बड़ नुकसान।
घटथे आँखी जोत हा, अपने भल पहिचान।।

जुड़हा पानी झन पियव, बनथे येहा रोग।
बैर हाजमा पेट के, बाढ़य अंतस सोग।।

जेवन भुँइया मा बइठ, अल्थी-कल्थी मार।
चाब-चाब के खा बने, आवव बइद न द्वार।।

खावव खाली पेट मा, फर कोनो रसदार।
दही-मही मंझन पियौ, रात दूध भरमार।।

करके जेवन रात मा, टहलव पाँव हजार।
औखद खर्चा बाँचथे, होथे तन दमदार।।

अधरतिहा ले जागना, हे जी के जंजाल।
अपच धरै आँखी गड़य, बिगडै़ जिनगी चाल।।
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कन्हैया साहू 'अमित' ~ भाटापारा छत्तीसगढ़

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