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शनिवार, 15 मई 2021

दुलरवा दोहा ~ रुखराई

रुखराई
रुखराई सिरतों हरय, धरती के सिंगार।
फुरहुर पुरवाही बहय, बनके साँस हमार।।

छँइहा देथे पेड़ हा, तन-मन बइठ जुड़ाव।
गाँव गली हर ठौर मा, खच्चित पेड़ लगाव।।

पेड़ जौन ठाड़े हवय, झन तैं वोला काट।
पंथी ला पुरवाही मिलै, रेंगत अपने बाट।।

फर फुलुवा रुखुवा मिलय, फोकटिया तैं जान।
हवा दवा जेवन सुघर, इही असल वरदान।।

झूमय बादर देख के, बड़का-बड़का पेड़।
हावय सबके बड़ भला, झन तैं रुखुवा छेड़।।

धरती हा हरियर दिखय, सबो रहँय खुशहाल।
बाढै़ बंजर भाँठ ता, मनखे होय कंगाल।।

आमा अमली लीम बर, मँउहा तेंदू चार।
पीपर परसा आँवरा, रुखुवा सदाबहार।।

सरई साजा सेम्हरा, बीजा अउ सइगोन।
लोहा ले बढ़के इमन, लागय मँहगी सोन।।

आवव हम रक्षा करिन, बगरे रहय बहार।
लइका दूठन हो भले, रुखुवा लगा हजार।।

रुखराई जिनगी जुड़े, अपने भल पहिचान।
काटय झन रुखुवा खड़े, इही अमित अरमान।।
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कन्हैया साहू 'अमित' ~भाटापारा छत्तीसगढ़...©©

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