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मंगलवार, 25 मई 2021

दुलरवा दोहा ~ मोबाइल - घाटा

मोबाइल महिमा~घाटा

मोबाइल के बिन इहाँ, होय न एको काम।
मोबाइल के लत अमित, जग ला करै गुलाम।।

खाना-पीना छोड़ दँय, मुसुवा कूदय पेट।
हर कीमत हर हाल मा, मोबाइल अउ नेट।।

धरे-धरे खटिया सुतय, धरे संग उठ पाय।
मोबाइल पहिली अमित, पाछू पाँव उचाय।।

टुरी-टुरा जम्मों गड़े, मोबाइल के बीच।
मनरंजन के नाँव मा, देखँय जीनिस नीच।।

ठेठा बोजे कान मा, गाड़ी कार चलात।
अँधरा भैरा बन चलँय, जबरन कहूँ झपाय।।

बाढ़य धोखा छल कपट, चोरी डाँका लूट।
मोबाइल हा दय अमित, झूठ कहे के छूट।।

मया पिरित के गोठ हा, सब ला नँगत सुहाय।
मोबाइल के ये मया, असली बात छुपाय।।

मोबाइल हा हे नशा, एखर लत बेकार।
रंगरेलहा मन बनँय, खतम होय संस्कार।।

ब्लेकमेल धोखाधड़ी, मोबाइल ले होय।
झूठमूठ के केस मा, फोकट मान ल खोय।।

सावचेत खच्चित रहव, मोबाइल उपयोग।
देखावा के फेर मा, उपजै अंतस सोग।।
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कन्हैया साहू 'अमित' ~ भाटापारा छत्तीसगढ़

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