मंगलवार, 1 जून 2021

दुलरवा दोहा ~ चम्पारण

चंपारण्य

राजिम संगम तीर मा, हे चम्पारण धाम।
प्रभु वल्लभ आचार्य के, जुड़े हवै शुभ नाम।।

जनम धरिन एकादशी, महिना तब बैशाख।
कृष्ण भक्त के अवतरण, अँधियारी के पाख।।

पुष्टि मार्ग के चलइया, भक्त वल्लभाचार्य।
शिक्षा दीक्षा संग मा, सेवा अउ सत्कार्य।।

दर्शन के सिद्धांत कहि, अपन चलाइन पंत।
तीन तत्व ही सार हे, कहिन सुजानी संत।।

एकमात्र हे ब्रम्ह हा, सदा सत्य अउ सार।
जीव, जगत, ईश्वर अमित, हरै जगत आधार।।

शुद्ध तत्व तीनों हरँय, इही धरम मरजाद।
प्रभु जी के जम्मों कथन, शुद्ध द्वैत के वाद।।

पढ़हंता बहुते गजब, कृष्ण भक्ति के दास।
लिख डारिन बड़ ग्रंथ ला, बनिन गुरू ये खास।।

चौरासी झन चेला इँखर, मन में भरैं हुलास।
सूरदास कुंभन सहित, कृष्ण दास हें खास।।

उत्तरमीमांसा लिखिन, कतको लिखिन निबंध।
भक्ति सगुण निर्गुण जघा, बगरिस पुष्टि सुगंध।।

चम्पारण मा हे बने, मंदिर बहुत विशाल।
देखत अचरिज हो चले, अंतस भर खुशहाल।।
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कन्हैया साहू 'अमित' ~ भाटापारा छत्तीसगढ़

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