छत्तीसगढ़ी वर्णमाला ~ बाल कविता
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अ से अमली बड़ अमटाहा।
आ से आमा खा मनचाहा।।
इ से इब्भा मार भगावौ।
ई से ईंटा महल बनावौ।।
उ से उरिद बरा हम खाबो।
ऊ से ऊँटवा मा चढ़ जाबो।।
ए से एड़ी चिक्कन राखौ।
ऐ से ऐना मनभर झाँकौ।।
ओ से ओली मा तरकारी।
औ से औरतमन महतारी।।
क से कड़ही गजब मिठाथे।
ख से खपरा छानी छाथे।।
ग से गगरी पानी भर ले।
घ से घर तैं सफ्फा कर ले।।
च से चटनी बासी खा ले।
छ से छइहाँ मा सुरताले।।
ज से जरई जामत हावै।
झ से झगरा नइ तो भावै।।
ट से टहलू हाँका पारै।
ठ से ठलहा फाँकी मारै।।
ड से डबिया कोन भुलाये।
ढ से ढकना ढाँक मढ़ाये।।
त से तरिया डुबक नहाबो।
थ से थरहा धान लगाबो।
द से दरपन सब ला भाथे।।
ध से धनिया बड़ ममहाथे।
न से नदिया पूरा आथे।।
प से पखना होथे भारी।
फ से फरा संग सोंहारी।
ब से बइला ललहूँ धौंरा।।
भ से भजिया एक्के कौंरा।
म से मचिया माढ़े चौंरा।।
य से यश तैं पोठ कमाले।
र से रखिया नार चढ़ाले।।
ल से लइका लाड़ू खाही।
व से वरदी जँचे सिपाही।।
स से सरई पेड़ बचावौ।
श से शक्कर कमती खावौ।।
ष से षट ला गिनथें सब छै।
ह से हलधर के होवय जै।।
रचना- कन्हैया साहू 'अमित'
शिक्षक-भाटापारा छत्तीसगढ़
गोठबात ~ 9200252055
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