बालगीत - नानी के घर जाबो
छुट्टी होगे गरमी के अब, नानी के घर जाबो।
पढ़ना-लिखना छोड़ अभी हम, नँगते मजा उड़ाबो।।
पोठ करे हन पढ़ई-लिखई, हालत होगे खस्ता।
निपट परीक्षा गेहे जम्मों, थीरथार हे बस्ता।
बेर चढ़त ले नींद भाँजबो, सपना सुघर सजाबो।
छुट्टी होगे गरमी के अब, नानी के घर जाबो।-1
खीर तसमई संग करौनी, मिलही दूध, महेरी।
गाय, भँइस के पाछू फिरबो, पाबो बछिया, छेरी।
मलर-मलर मनमाने करबो, इँतरौना इँतराबो।
छुट्टी होगे गरमी के अब, नानी के घर जाबो।-2
बारी-बरछा बइठ बिलमबो, थाँघा झूलना डारे।
आनी-बानी फर हम खाबो, भले पेट ला झारे।
नरवा-नदियाँ, तरिया-डबरी, मनभर डुबक नहाबो।
छुट्टी होगे गरमी के अब, नानी के घर जाबो।-3
ममा पुरोही खँगती-बढ़ती, मामी मया जताही।
गोठ सुजानिक नाना करके, बढ़िया बात बताही।
संग समो के सब ला संगी, सिरतों समझ बढ़ाबो।
छुट्टी होगे गरमी के अब, नानी के घर जाबो।-4
पढ़ना-लिखना छोड़ अभी हम, नँगते मजा उड़ाबो।।
सृजन- कन्हैया साहू 'अमित'
शिक्षक- भाटापारा छत्तीसगढ़
गोठबात - 9200252055
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