मच्छर
रतिहा बेर कलेचुप आथे।
कान तीर मा गुनगुन गाथे।।
कोन सुते हे कोन ह जागत।
भिथिया बइठे रहिथे ताकत।।
आरो जब थोरिक नइ पावय।
आके तुरते सुजी लगावय।।
छिन-छिन बस खटिया के चक्कर।
मलेरिया के इही ह मच्छर।।
राखव घर मा साफ सफाई।
मच्छर के तब होय बिदाई।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा छत्तीसगढ़
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