चिरई
चींव-चींव बड़ करथे चिरई।
उँच अगास फुर्र-फुर्र फिरई।।
मुँह मा भरके लावय चारा।
पिलवा बीच करय बँटवारा।।
इँखर खोंधरा रैन बसेरा।
झेलय पानी हवा गरेरा।।
फुदुक-फुदुक फुतका मा फुदकय।
देख कोंड़हा कनकी कुलकय।।
अँगना मा जब-जब ये आवय।
सबके मन ला नँगते भावय।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा छत्तीसगढ़
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