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गुरुवार, 26 नवंबर 2020

बाल कविता ~ बेटी

बेटी
जग मा गजब दुलौरिन बेटी।
बड़ सजोर कमईलिन बेटी।।

दया धरम चिन्हारी बेटी।
पुरखा के रखवारी बेटी।।

बिगड़े भाग  बनाथे बेटी।
दू कुल मान बढ़ाथे बेटी।।

नइ हे अब तो अबला बेटी।
बाना बोहय सबला बेटी।।

सदा 'अमित' सुखदाई बेटी।
करथे काज भलाई बेटी।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा छत्तीसगढ़

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