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शुक्रवार, 14 मई 2021

दुलरवा दोहा ~ हमर ददा

हमर बाप
बाप हमर होथे इहाँ, संकट मा रखवार।
बोहै अपने खाँध मा, अपने घर संसार।।

जिनगी जीये के कला, अपने बाप सिखोय।
ये अनुभव के ज्ञान हे, एखर मोल न होय।।

बाप ददा पुरखा हमर, रद्दा सोज बताय।
मानय जौने बात ला, जिनगी सुखी पहाय।।

ज्ञान खजाना बाप के, करुहा गोठ जनाय।
जौन धरै नइ बात ला, पाछू बड़ पछताय।।

पुरखा के पूजा करिन, मान अपन भगवान।
इँखर कहे हर बात हा, आज लगै वरदान।।

ददा भले अप्पढ़ रहय, लइका अपन पढ़ाय।
लागा-बोड़ी कर अमित, आगू सदा बढ़ाय।।

दुख पीरा मा हो खड़े, बनके हमर सहाय।
सिरतों पालनहार हे, अपने फर्ज निभाय।।

बाप कमावय घर चलै, खुशहाली दिनरात।
कनिहा टूटत काम ले, तभो बुता हे घात।।

बाप करेजा हे बड़े, सबके राखय ध्यान।
बुता काम कर पोगरी, राखय सबके शान।।

आज ददा हे अकतहा, कइसन चलै रिवाज।
हमर जनक लाँघन अमित, बिगड़त हवय समाज।।
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कन्हैया साहू 'अमित' ~ भाटापारा छत्तीसगढ़...©®

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