सुमरनी
पहिली सुमिरन गुरुददा, जे हर देइन ज्ञान।
जानय जग जंजाल ला, गुरुवर चतुर सुजान।।
हे गौरीसुत गजबदन, गणपति गणराज।
हाथ जोड़ विनती हवय, तहीं बनाबे काज।।
आखर देवी शारदा, सुन ले अमित पुकार।
मुरहा मोला मान के, देबे मया दुलार।।
आवव आखर अकतहा, वरण शबद के कोख।
अंतस बइठे बात ला, लिखय कलम के नोख।।
हे शिवशंकर शोभना, जय हो भोलेनाथ।
सदा-सदा सुमिरन करँव, देवत रहिबे साथ।।
दुर्गा लक्ष्मी कालिका, दाई तुँहर प्रणाम।
बेटा अपने जान के, बने बनाहू काम।।
राम कृष्ण करहू कृपा, भक्तन अपने मान।
जँउहर जकला जोजवा, सिरतों मोला जान।।
ब्रम्हा विष्णु ल पयलगी, सुग्घर चेत धराव।
सुन पुकार मोरो अमित, बिगड़ी काज बनाव।।
महावीर हनुमान जी, देवव अमित असीस।
थोरिक देहव बुद्धि बल, ऊँच रहय ये शीश।।
जय हे माता माँवली, रखबे मोरो ख्याल।
माँ के ममता तैं पुरो, करदै कलम कमाल।।
सुमिरँव देवी देवता, सादर अमित मनाय।
अलवा-जलवा जे लिखँव, तुँहरे कृपा कहाय।।
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कन्हैया साहू 'अमित' ~ भाटापारा छत्तीसगढ़
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