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रविवार, 9 मई 2021

दुलरवा दोहा~पायलगी बनिहार (दोहा गीत)

मई दिवस बेकार
जय हे जाँगर जोश के, जुग-जुग ले जयकार।
सिरतों सिरजन हार तैं, पायलगी  बनिहार।।

खेत-खार नाँगर-बखर, माटी बसे परान।
कुदरा रापा संग मा,  इही तोर पहिचान ।।
लहू पछीना ओलहा, बंजर खिलै बहार।
सिरतों सिरजन हार तैं......

घाट-घटौंदा घरउहा, महल-अटारी धाम।
सड़क नहर पुलिया गढे़, करथव कब बिसराम।।
सरलग समरथ साधना, सौ-सौ हे जोहार।
सिरतों सिरजन हार तैं.......

ईंटा-पखरा जोरथें, धर करनी गुरमाल।
खद्दर खपरा खोंधरा, मस्त मगन हर हाल।।
शोषक सरई सोनहा, कमिया तैं खमहार।
सिरतों सिरजन हार तैं.......

अन्न-धन्न दाता तहीं, सुख सब तोरे पाँव।
परछी परवा हा बनै, भूमिहीन के ठाँव।।
मतलबिहा लहुटे सबो, भुलगे जग भुतियार।
सिरतों सिरजन हार तैं.......

चिखला झुक्खा भोंभरा, जुड़ सरदी अउ घाम।
महिनत मा मोती मिले, चमचम चमके चाम।।
फटे  बेंवई  केंदवा, भुजबल बड़ दमदार।
सिरतों सिरजन हार तैं.......

आलस अल्लर ओढ़हर, नइ जाने मजदूर।
भाग्य विधाता सब सहै, होके मन मजबूर।।
साधक सक्ती के अमित, सुख मा कब सुखियार।

सिरतों सिरजन हार तैं, पायलगी बनिहार।
जय हे जाँगर जोश के, जुग-जुग ले जयकार।
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कन्हैया साहू 'अमित' ~ 9200252055

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