बालगीत - आवव खाबो गुपचुप
अल्लू-बल्लू, अमलू-रमलू, आवव खाबो गुपचुप।
सरदी-खाँसी के डर नइ हे, बइठव झन तुम चुपचुप।।
देख सँझौती बेरा सुग्घर, घर ले बाहिर निकलव।
अमसुर-गुरतुर सेवाद भरे, थोर-थोर सब चिखलव।।
अमली पानी मिला-मिला के, मुँह मा डारव गुपगुप।
अल्लू-बल्लू, अमलू-रमलू, आवव खाबो गुपचुप।।-1
कोनो खावव चाट बना के, मटर, मसाला डारे।
तुरतेताही तात-तात बड़, झन पुछ येखर बारे।।
मन होथे बस खाते जावँव, सरपट सँइया टुपटुप।।
अल्लू-बल्लू, अमलू-रमलू, आवव खाबो गुपचुप।।-2
भेल, पापड़ी, आलू टिकिया, गजब मिठाथे नड्डा।
आनी-बानी खाये खातिर, चलव चलिन चौगड्डा।।
हाथ लमा के जम्मों खाथें, कहन न कोनो छुप छुप।।
अल्लू-बल्लू, अमलू-रमलू, आवव खाबो गुपचुप।।-3
सरदी-खाँसी के डर नइ हे, बइठव झन तुम चुपचुप।
अल्लू-बल्लू, अमलू-रमलू, आवव खाबो गुपचुप।।....
सृजन- कन्हैया साहू 'अमित'✍️
शिक्षक- भाटापारा छत्तीसगढ़ ©®