*भाजी महिमा (चौपई छंद)*
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जरी अमारी अउ बोहार,
संग मही मा भूँज बघार।
पटवा भाजी बने निमार,
अम्मठ अमसुर लिरबुट लार।1।
मुनगा मखना मेथी मार,
मुरई मुसकेनी दमदार।
पालक पुतका पोंईनार,
कुसुम कोचई कोईलार।2।
गोल गुमी गुड़रू गोलार,
एक बछर मा खा इकबार।
चना चनौरी बड़ दमदार,
काबर बइठे हव मन मार।3।
करमत्ता भाजी भरमार,
छछलय छक ले ये छतनार।
तिनपनिया के पाना चार,
सुकसा भाजी हे रसदार।4।
खरी खोटनी खेती खार,
तिवँरा सरसो भाजी सार।
चाँट चरौटा मुँह चटकार,
भाजी महिमा अमित अपार।5।
कुसुम कजेरा कुरमा टोर,
कोंअर-कोंअर पाना लोर।
पोठ खवाथे भाजी भात,
साग सुहाथे मनभर घात।6।
चुनचुनिया चौंलाई चेंच,
लमा-लमा के खावव घेंच।
भाजी पाला सस्ता साग।
सुग्घर सेहत बढ़य दिमाग।7।
लाली भाजी करे कमाल।
राखय लहू गजब के लाल।
खावव भाजी पाला रोज,
बारी बखरी तुरते खोज।8।
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*कन्हैया साहू "अमित"*
शिक्षक~भाटापारा (छ.ग)
संपर्क~9200252055
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