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शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

बाल कविता ~ फुरफुंदी

फुरफुंदी
लइकामन ला भाथे फुरफुंदी।
सादा  लाली  छिटही  बुंदी।।

पकड़े बर लइका ललचाथे।
आगू-पाछू  उरभट जाथे ।।

फूल-फूल  मा  झूमे  रहिथें।
कान-कान मा का इन कहिथें।।

थीर-थार नइ थोकुन बइठे।
अपने-अपन अकतहा अँइठे।।

फरफर-फरफर फुर्र उड़ाये।
चिटिक देंह बड़ जीव लड़ाये।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा-9200252055

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