फुरफुंदी
लइकामन ला भाथे फुरफुंदी।
सादा लाली छिटही बुंदी।।
पकड़े बर लइका ललचाथे।
आगू-पाछू उरभट जाथे ।।
फूल-फूल मा झूमे रहिथें।
कान-कान मा का इन कहिथें।।
थीर-थार नइ थोकुन बइठे।
अपने-अपन अकतहा अँइठे।।
फरफर-फरफर फुर्र उड़ाये।
चिटिक देंह बड़ जीव लड़ाये।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा-9200252055
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