भोरमदेव....
मैकल पर्वत घाट मा, हावय छपरी गाँव।
मंदिर भोरमदेव हे, शिवशंकर के ठाँव।।
फनी नागवंशी इहाँ, राज पाट ल चलाय।
सुग्घर शासन कर अमित, बहुते नाम कमाय।।
मंदिर सौ फिट ऊँच हे, हावय बहुत विशाल।
पर्वत श्रेणी काट के, नागर शैली चाल।।
राज करे हें कलचुरी, देवराय गोपाल।
अद्भुत हिन्दू स्थापना, शिल्पकला सोमाल।।
मंदिर मंडप बड़ सुघर, मुरती अचरिज जान।
करिया पथरा कीमती, शिवशंकर निर्मान।।
पर्वत जंगल बीच मा, मंदिर भोरमदेव।
छोटे खजुराहो अमित, एक बेर जातेव।।
तीरे मा मड़वा महल, बने हवय ये खास।
खंडित मुरती हा घलो, कहत हवय इतिहास।।
अद्भुत हे मड़वा महल, थोरिक अमित हियाव।
रामचंद्र अंबिका करिन, इँहचे अपन बिहाव।।
तीर म वन अभ्यारण्य, देखें ला बड़ आय।
पुरखौती चिन्हा बने, सब ला गजब सुहाय।।
जिनगी जीये के कला, कतका खुल्ला देख।
बात अपन आगू रखँय, देत गवाही लेख।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
कन्हैया साहू 'अमित' ~ 9200252055...©®
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें