पीयूष वर्ष छंद/आनंद वर्धक छंद
2122, 2122, 212 (10~9)
फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
काम कोनो, काखरो आ जा कहूँ।
जीव सेवा, थोरको आ जा तहूँ।।
छोड़ संगी, दोष चोला छाँटले।
तैं मया के निसानी ला बाँटले।।
जान ले तैं, देख ले संसार ला।
जाँच ले तैं, मोह के भंडार ला।।
ये जमाना मोह के भोगी लगै।
पीठ पाछू, तोर हा तोला ठगै।।
लोभ भारी बाढ़ गेहे आज तो।
बेंच खाहें लोग देखौ लाज तो।।
पाप बाढ़ै नाश के गड्ढ़ा खने।
जानबे का कोन हावै का बने।।
ये सबो ला जान के आगू बढ़ौ।
जीव सेवा के सबो रद्दा गढ़ौ।।
सोंचना हा तोर तो बेकार हे।
बाँटले पीरा इही हा सार हे।।
कन्हैया साहू 'अमित'
भाटापारा छत्तीसगढ़
रचना~24/08/2020
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