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शुक्रवार, 7 मई 2021

देंह दान ~ दोहालरी

देंहदान
देंहदान के प्रण करव, किरिया खावव आज।
करैं पढ़ाई डॉक्टर बनँय, बढ़िया देश समाज।।

ये तन हा हे कीमती, मनुज जनम अनमोल।
मनखे मरहा हे परे, ओखर कीमत बोल।।

जींयत भर के पूछना, मरे देंह ला फेंक।
देंहदान करके तहूँ, कारज करले नेक।।

मुरदा तन हे काम के, डॉक्टर बात बताय।
देंहदान खच्चित करव, गोठ इही समझाय।।

करँय प्रेक्टिकल लाश मा, बाढ़य डॉक्टर ज्ञान।
आबे मरके काम तैं, सिरतों येला मान।।

किडनी लीवर कार्निया, देथे येला दान।
मरहा तन ले हम घलो, बचा सकत हन प्रान।।

हमर मरे के बाद तन, आही का ये काम।
देंहदान करके हमर, अमर होय निज नाम।।

अस्पताल मा जा अमित, अपने नाँव लिखाव।
देंहदान करहू महूँ, इच्छा अपन बताव।।

फार्म दिही, भरबे सुघर, दू फोटू चटकाव।
राख गवाही दू नता, देंहदान समझाव।।

तन के दानी जब मरय, तुरते फोन घुमाव।
तुरत सूचना कर तुमन, अस्पताल पहुँचाव।।~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
कन्हैया साहू 'अमित'~9200252055..©®

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