लहूदान ~ दोहालरी
धन दोगानी दानिया, धरम करम धनवान।
ग्यानी बाँटय ग्यान ला, लहूदान इंसान।।
मनखे जूझय मौत ले, कपसे रहय परान।
लहूदान दे तैं अमित, बनही ये वरदान।।
जीव एक बाँचय कभू, मन मा होय गुमान।
मिलय खुशी अब्बड़ अमित, कतका करँव बखान।।
मया सुवारथ मा फँसे, दान धरम ईमान।
लहूदान जे हा करय, उही असल इंसान।।
जिनगानी बड़ कीमती, मानुस जोनि महान।
बचा मरत के जान तैं, बढ़ही जग मा मान।।
रुपिया पइसा ले नता, मित मितान लगवार।
लहूदान परहित करँय, उही असल लगवार।।
रंग रूप तन सुघरई, चारे दिन के आय।
बन के दरुहा गंजहा, लहू अपन अँउटाय।।
बोझा बनके सब इहाँ, जिनगी बिरथा खोंय।
पछताहीं पाछू अमित, खइता पाखर होंय।।
मानुस तन अनमोल हे, हाँसत अमित गुजार।
लहूदान कर देख ले, मिलही पुन्य अपार।।
लहूदान खतरा नहीं, नइ होवय कमजोर।
सरलग बनथे खून हा, अंतस अमित हिलोर।।
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कन्हैया साहू 'अमित' ~ भाटापारा छत्तीसगढ़
गोठबात ~ 9200252055
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