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बुधवार, 19 मई 2021

दुलरवा दोहा ~ जात पात

जात-पात
जात-पात मा का धरे, मनखे एक समान।
भेदभाव कखरो करा, कहाँ करय भगवान।।

साधू के का जात हे, कोन पूछथे आज।
उँखर ज्ञान के मान हे, परथे पाँव समाज।।

उँचहा कुल मा ले जनम, नइ तो ऊँच कहाय।
मानुस उँचहा वो अमित, बनथे जौन सहाय।।

जातपात के फेर मा, बाढ़य अंतस सोग।
आपस मा सब लड़ मरै, अइसन जिद्दी रोग।।

झन पूछव तुम जात ला, पूछव ओखर ज्ञान।
जाँता ला देवव मढ़ा, खावव रोट पिसान।।

अंश सबो भगवान के, उही जगत उपजात।
कोन्हों नइ हे नीच जी, नइ तो जात सुजात।।

धरती मा मनखे जनम, नर मादा ले होय।
छोट-बड़े अब जात ला, मानय कइसे कोय।।

नस-नस मा दँउड़य लहू, सबके हावय लाल।
जातपात के नाँव मा, काबर फेर बवाल।।

जात-पात के बाँट हा, चतुरा मनखे चाल।
अपन सुवारथ लोभ मा, फेंके हावँय जाल।।

हिंदू ईसाई सिक्ख अउ, कोनो जैन पठान।
अमित ठिकाना एक हे, जाना हे शमशान।।

देश आज दुबरात हे, लगगे जात दियाँर।
भेदभाव ला मेटबो, आवव करिन विचार।।
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कन्हैया साहू 'अमित' ~ 9200252055

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