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बुधवार, 19 मई 2021

दुलरवा दोहा ~ नता के नार

नता के नार
नार नता छछलै अबड़, जइसे नस-नस जाल।
मनखे अब कोनो कहाँ, एखर ले खुशहाल।।

लागय गरु जम्मों नता, का दाई का बाप।
पटय नहीं तारी कभू, खावय कइसे खाप।।

अमित सुवारथ आ बसे, सबके घर परिवार।
नता घलो जानत हवय, होना हे तकरार।।

चौकीदारी बाप के, दाई हे बनिहार।
अइसन कइसे होत हे, आज सरी संसार।।

सास बहू के पेंच मा, बेटा हे लपटाय।
दाई के अँचरा छुटय, संग सुवारी भाय।।

नाती नतनिन के नता, नोहर भइगे आज।
बूढ़ीदाई अउ बबा, हमर कहे मा लाज।।

जिहाँ फायदा हा दिखय, उँहे नता पोठाय।
नइ हे जब कोनो नफा, नता उहाँ दुबराय।।

दया-मया मन के भरम, कहाँ आरूग प्यार।
मतलबिया रिश्ता नता, बनगे हे बैपार।।

पखरा लहुटे हे नता, मरगे अंतस मोह।
पूछत हे जिनगी अमित, कहाँ सिरागे चोह।।

घर अँगना बनवास कस, रिश्ता दाँत निपोर।
कती गँवागे सब नता, देखय अमित निटोर।।
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कन्हैया साहू 'अमित' ~ भाटापारा छत्तीसगढ़

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