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मंगलवार, 25 मई 2021

दुलरवा दोहा ~ जनसंख्या

जनसंख्या

जादा लइका राखहू, होहू जी हलकान।
पूर कहाँ ले पारहू, नइ बाँचय धन धान।।

दुब्बर पातर देंह हे, लिरी-लिरी लरियाय।
खाय-पिये के हे कमी, लइका कब मोटाय।।

जादा संख्या बाढ़ही, मचही हाहाकार।
दाना-पानी नइ पुरय, का करही सरकार।।

महतारी लइका अमित, कइसे के सुख पाय।
पोषक जेवन के कमी, कमजोरी बढ़ जाय।।

भुँइया तो बाढ़ै नहीं, मनखे बाढ़त जाय।
रहे-बसे होवय कमी, बेजा कब्जा छाय।।

धन दोगानी कम परय, लइका के बढ़वार।
सदा सुखी राहय उही, जेखर कम परिवार।।

बाढ़त आबादी अमित, दय विकास ला रोक।
रोकथाम खातिर तुमन, देवव गलती टोक।।

रोजी धंधा काम ला, जुरमिल सबो कमाय।
जनसंख्या होवय नँगत, मार-काट मच जाय।।

सुख के रोटी बाँटबो, एक बरोबर यार।
पुरही सब ला काम हा, मिलै सबो अधिकार।।

लइका एक्के झन रखव, पूरन करही आस।
जइसे सूरुज हा रहय, राजा बने अगास।।
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कन्हैया साहू 'अमित' ~ 9200252055...©®

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