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शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

बाल कविता ~ फुरफुंदी

फुरफुंदी
लइकामन ला भाथे फुरफुंदी।
सादा  लाली  छिटही  बुंदी।।

पकड़े बर लइका ललचाथे।
आगू-पाछू  उरभट जाथे ।।

फूल-फूल  मा  झूमे  रहिथें।
कान-कान मा का इन कहिथें।।

थीर-थार नइ थोकुन बइठे।
अपने-अपन अकतहा अँइठे।।

फरफर-फरफर फुर्र उड़ाये।
चिटिक देंह बड़ जीव लड़ाये।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा-9200252055

बाल कविता ~ मड़ई

मड़ई

गाँव-गाँव मा होथे मड़ई।
महिमा आगर, बहुते बड़ई।।

देव साँहड़ा के हे मातर।
सब सकलाथें भाँठा चातर।।

खेती के जब बुता थिराथे।
मातर मड़ई तभे जगाथे।।

ठौर-ठौर मा सजथे मेला।
मनखे के तब रेलम-पेला।।

नाचा गम्मत बड़ रौताही।
खई खजाना  हाहीमाही।।

रौताही=मड़ई
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा - 9200252055

बाल कविता ~ बादर

बादर
गड़गड़-गड़गड़ करथे बादर।
धीर  कहाँ  तब धरथे  बादर।।

करिया करिया ओन्हा ओढ़े।
झम-झम बिजली बरथे बादर।।

सरसर-सरसर पवन संग मा।
झरझर-झरझर झरथे बादर।।

गरमी ले हलकान परानी।
सबके दुख ला हरथे बादर।।

रुक्खा-झुक्खा चारों कोती।
सब ला हरियर करथे बादर।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~ भाटापारा -9200252055

बाल कविता ~ चिटरा

चिटरा

चिटरा अड़बड़ चतुरा चमकुल ।
हाथ आय मा  नँगते  मुसकुल।।

सरर-सरर  चढ़थे  रुखराई।
रंग-रूप   सुग्घर  सुखदाई।।

फर  बीज  साग   भाजी  खाथे।
कड़क जिनिस ला मनभर भाथे।।

फुदुक-फुदुक फुदरे अँगना मा।
राम  कृपा  हे  एखर  सँग  मा।।

पीठ  परे  हे  करिया  धारी।
महिनत चिटरा के चिन्हारी।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा-9200252055

बाल गीत ~ हमर जेवन

हमर जेवन
सुघर संतुलित होवय जेवन।
सोंच समझ के करहव सेवन।।...

सेहत सिरतोन असल धन हे।
पोठ  देंह  मा  सुंदर  मन  हे।।
बस सुवाद के चक्कर छोड़व,
डँट के  खाय म हमर मरन हे।।
खाव भले तुम खेवन-खेवन।

सुघर संतुलित होवय जेवन।
सोंच समझ के करहू सेवन।।~1

भाजी-पाला अउ तरकारी।
खावव तन-तन शाकाहारी।।
पताल, मुरई, ककड़ी, खीरा,
राखव  रोजे  अपने  थारी।।
सरी मौसमी फर हम लेवन।

सुघर संतुलित होवय जेवन।
सोंच समझ के करहू सेवन।।~2

दूध दही घी  दलहन  दलिया।
खावव संगी भर-भर मलिया।।
पीयव  आरुग  पानी  पसिया,
पिज्जा  बर्गर  होथे  छलिया।।
शेखी मा  झन  प्राण  ल देवन।

सुघर संतुलित होवय जेवन।
सोंच समझ के करहू सेवन।।~3
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12-हमर तीज तिहार

हरियर-हरियर हे हमर हरेली।
सावन मा ये छावय बरपेली।।
इही महीना मा आवय राखी।
भाई बहिनी के पिरीत साखी।।

भादो म भोजली तीजा-पोरा।
बेटी माई बर गजब अगोरा।।
कुँवार नवराती म भक्ति भारी।
कातिक मा जगर-बगर देवारी।।

पूस म पुन्नी आय छेरछेरा।
माई  कोठी,  धान हेर हेरा।।
फागुन मा रिंगी-चिंगी होरी।
एमा भरथे बड़ मया तिजोरी।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा-9200252055

बाल गीत ~ हमर तीज तिहार

हमर जेवन

सुघर संतुलित होवय जेवन।
सोंच समझ के करहव सेवन।।...

सेहत सिरतोन असल धन हे।
पोठ  देंह  मा  सुंदर  मन  हे।।
बस सुवाद के चक्कर छोड़व,
डँट के  खाय म हमर मरन हे।।
खाव भले तुम खेवन-खेवन।

सुघर संतुलित होवय जेवन।
सोंच समझ के करहू सेवन।।~1

भाजी-पाला अउ तरकारी।
खावव तन-तन शाकाहारी।।
पताल, मुरई, ककड़ी, खीरा,
राखव  रोजे  अपने  थारी।।
सरी मौसमी फर हम लेवन।

सुघर संतुलित होवय जेवन।
सोंच समझ के करहू सेवन।।~2

दूध दही घी  दलहन  दलिया।
खावव संगी भर-भर मलिया।।
पीयव  आरुग  पानी  पसिया,
पिज्जा  बर्गर  होथे  छलिया।।
शेखी मा  झन  प्राण  ल देवन।

सुघर संतुलित होवय जेवन।
सोंच समझ के करहू सेवन।।~3
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा -9200252055

बाल गीत ~ नता रिश्ता

नता रिश्ता

जिनगी भर जेखर आभारी।
ओखर नाँव बाप महतारी।।
घर  मा  जेखर  संगे रहना।
कहलाथें  इन भाई  बहना।।

दया  मया  नइ  राहय  बाँकी।
हरँय उहीमन ह कका  काकी।
कहँय सदा हर बात म हव जी।
काहन  उनला भइया  भउजी।।

सोचय जे दिनरात भलाई।
उही  ह  बबा  डोकरी दाई।।
अपन नता के मान मनौती।
बढ़ै तभे घर द्वार फभौती।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा-9200252055

बाल कविता ~ हमर तीज तिहार

हमर जेवन

सुघर संतुलित होवय जेवन।
सोंच समझ के करहव सेवन।।...

सेहत सिरतोन असल धन हे।
पोठ  देंह  मा  सुंदर  मन  हे।।
बस सुवाद के चक्कर छोड़व,
डँट के  खाय म हमर मरन हे।।
खाव भले तुम खेवन-खेवन।

सुघर संतुलित होवय जेवन।
सोंच समझ के करहू सेवन।।~1

भाजी-पाला अउ तरकारी।
खावव तन-तन शाकाहारी।।
पताल, मुरई, ककड़ी, खीरा,
राखव  रोजे  अपने  थारी।।
सरी मौसमी फर हम लेवन।

सुघर संतुलित होवय जेवन।
सोंच समझ के करहू सेवन।।~2

दूध दही घी  दलहन  दलिया।
खावव संगी भर-भर मलिया।।
पीयव  आरुग  पानी  पसिया,
पिज्जा  बर्गर  होथे  छलिया।।
शेखी मा  झन  प्राण  ल देवन।

सुघर संतुलित होवय जेवन।
सोंच समझ के करहू सेवन।।~3
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा -9200252055

बाल कविता ~ केरा

चिरई
चींव-चींव बड़ करथे चिरई।
उँच अगास फुर्र-फुर्र फिरई।।

मुँह मा भरके लावय चारा।
पिलवा बीच करय बँटवारा।।

इँखर खोंधरा रैन बसेरा।
झेलय पानी हवा गरेरा।।

फुदुक-फुदुक फुतका मा फुदकय।
देख कोंड़हा कनकी कुलकय।।

अँगना मा जब-जब ये आवय।
सबके मन ला नँगते भावय।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा छत्तीसगढ़

बाल कविता ~ पतंग

पतंग
फरफर-फरफर  उड़य  पतंग।
किसिम-किसिम के कतको रंग।।
चिरई चिरगुन कस ऊँच अगास।
देखइया  मन  मस्त  मतंग।।

मंजा  डोरी  ले पहिचान।
ढ़ील छोड़ दे, झन दे तान।।
जावय  बादर  ले ओ पार।
तभे जीत होही ये जान।।

ये पतंग कुछु सीख सिखाय।
बंधन ले  जिनगी मुसकाय।।
जेखर  बँधना  जावय  टूट।
फेर कभू ना  वो टिक पाय।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा छत्तीसगढ़

बाल कविता ~ किताब

किताब
हे किताब असल संगवारी।
देथे सिरतों सबो जानकारी।।

पढ़ले एला मनभर आगर।
भरे ज्ञान के टिपटिप सागर।।

दुनिया भरके बात बताथे।
मन के सरी भरम मेटाथे।।

हर सवाल के उत्तर मिलथे।
पढके अंतस सुग्घर खिलथे।।

संगी एला जौन बनाथे।
पढ़े लिखे मा अव्वल आथे।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा छत्तीसगढ़

बाल कविता ~ मच्छर

मच्छर
रतिहा बेर कलेचुप आथे।
कान तीर मा गुनगुन गाथे।।

कोन सुते हे कोन ह जागत।
भिथिया बइठे रहिथे ताकत।।

आरो जब थोरिक नइ पावय।
आके तुरते सुजी लगावय।।

छिन-छिन बस खटिया के चक्कर।
मलेरिया के इही ह मच्छर।।

राखव घर मा साफ सफाई।
मच्छर के तब होय बिदाई।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा छत्तीसगढ़

गुरुवार, 26 नवंबर 2020

बाल कविता ~ बिहनिया

बिहनिया
होत बिहनिया कुकरा बासय।
बड़े फजर  ले जम्मों जागय।।

खोर गली मा छिटका गोबर।
साफ  सफाई  सरग बरोबर।।

चींव चाँव चिरई नरियावव।
छानी ले धुँगिया उड़ियावय।।

चउँक पुराये सुघर मुँहाटी।
जावँय लउहे  गोदी  माटी।।

लाली सूरुज सबके हिस्सा।
इही गाँव गँवई के किस्सा।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा छत्तीसगढ़

बाल कविता ~ बेटी

बेटी
जग मा गजब दुलौरिन बेटी।
बड़ सजोर कमईलिन बेटी।।

दया धरम चिन्हारी बेटी।
पुरखा के रखवारी बेटी।।

बिगड़े भाग  बनाथे बेटी।
दू कुल मान बढ़ाथे बेटी।।

नइ हे अब तो अबला बेटी।
बाना बोहय सबला बेटी।।

सदा 'अमित' सुखदाई बेटी।
करथे काज भलाई बेटी।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा छत्तीसगढ़

बाल कविता ~ फुग्गावाला

फुग्गावाला

फुग्गावाला हा आये हे।
लइकामन सब सकलाये हे।।

रिंगी-चिंगी फुग्गा फूले।
तीर तार मा जम्मों बूले।।

दू रुपिया मा दूठन आवय।
लुहुर-लुहुर सब लेके जावय।।

छिंटही पिंवरी सादा लाली।
नाचत कूदत पीटँय ताली।।

हब हब फुग्गा सबो सिरागे।
लइकामन के चुहल थिरागे।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~भाटापारा छत्तीसगढ़

बाल कविता ~ बरखा

बरखा~बाल कविता

जब जब सावन भादो आथे।
करिया-करिया  बादर  छाथे।।

कड़कड़ कड़कड़ बिजली चमके।
बरसय  बादर  जउँहर  जमके।।

चूहय बहुते छानी परवा।
छू लम्बा तब माढ़े नरवा।।

सुरुर सुरुर चलथे पुरवाही।
गिरथे  पानी  हाहीमाही।।

संंग नँगरिहा नाँगर बइला।
खोर गली मा मातय चिखला।।

नरवा नँदिया डबरी तरिया।
हरसाथे सब भाँठा परिया।।

नाचय जब-जब बरखा रानी।
चारों  मूँड़ा  पानी-पानी।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~15/09/2020
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बाल कविता ~02

बरखा~बाल कविता

जब जब सावन भादो आथे।
करिया-करिया  बादर  छाथे।।

कड़कड़ कड़कड़ बिजली चमके।
बरसय  बादर  जउँहर  जमके।।

चूहय बहुते छानी परवा।
छू लम्बा तब माढ़े नरवा।।

सुरुर सुरुर चलथे पुरवाही।
गिरथे  पानी  हाहीमाही।।

संंग नँगरिहा नाँगर बइला।
खोर गली मा मातय चिखला।।

नरवा नँदिया डबरी तरिया।
हरसाथे सब भाँठा परिया।।

नाचय जब-जब बरखा रानी।
चारों  मूँड़ा  पानी-पानी।।
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कन्हैया साहू 'अमित'~15/09/2020
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बुधवार, 25 नवंबर 2020

बाल कविता~मिट़ठू

मिट्ठू

चोंच लाल अउ हरियर पाँखी।
जुगुर-जुगुर बस दिखथे आँखी।।

चुरपुर  मिरचा  बहुते खाथे।
चटर-चटर चटरू बन जाथे।।

उँच  अगास  ये फुर्र उड़ाये।
अपन  अजादी येला भाये।।

खावय आमा जाम जोंधरा।
पीपर  खोर्ड़ा  टीप खोंधरा।।

लालच मा दाना चुग जाथे।
तभे  पिंजरा  बीच धँधाथे।।

रचना~कन्हैया साहू 'अमित'
सृजन दिनाँक~26/11/2020

चंद्रयान अभिमान

चंद्रयान  ले  नवा  बिहान,  हमर तिरंगा, बाढ़य शान। रोवर चलही दिन अउ रात, बने-बने बनही  हर  बात, दुनिया होगे अचरिज आज, भारत मुँड़़ अब सजगे ताज, ...